वाराणसी के उदय प्रताप कॉलेज में वक्फ बोर्ड के दावे को लेकर इस समय एक बड़ा विवाद चल रहा है, जिससे छात्रों में गहरी नाराजगी और विरोध का माहौल है। यह मामला तब सुर्खियों में आया जब सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड लखनऊ ने कॉलेज की जमीन पर दावा ठोक दिया। इसके बाद छात्रों का आरोप है कि कॉलेज परिसर में मजार बनाने और वहां नमाज पढ़ने का सिलसिला शुरू हो गया है। छात्रों ने इस मुद्दे को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। मंगलवार को हनुमान चालीसा का पाठ किया और जुलूस निकालने की कोशिश की।

छात्रों का आरोप वक्फ बोर्ड ने जानबूझकर विवाद खड़ा किया

छात्रों का कहना है कि शिक्षा के मंदिर में मजार बनाना और फिर वहां नमाज पढ़ना उचित नहीं है। उनका आरोप है कि वक्फ बोर्ड ने जानबूझकर कॉलेज की जमीन पर कब्जा करने की कोशिश की और दूर-दूर से नमाजी जुटाकर अपनी ताकत दिखाने का प्रयास किया।

छात्र संघ अध्यक्ष सुधीर सिंह और पूर्व छात्र संघ उपाध्यक्ष विवेकानंद सिंह के नेतृत्व में सैकड़ों छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया। वे मजार की तरफ बढ़ने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक लिया और सात छात्रों को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने छात्रों से शांति बनाए रखने की अपील की, लेकिन विरोध में छात्रों ने गाड़ी के सामने आकर प्रदर्शन किया।

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कॉलेज प्रशासन ने कहा कि इस विवाद के कारण सुरक्षा बढ़ा दी गई है, क्योंकि इस समय परीक्षा का माहौल है। कॉलेज परिसर में पुलिस की कड़ी चौकसी के कारण कोई बड़ा विवाद नहीं हुआ और मजार तक न तो छात्र पहुंचे, न ही बाहर से आए नमाजी। इस मुद्दे पर छात्रों ने कहा कि वे शांति वार्ता के लिए तैयार हैं, लेकिन केवल साक्ष्य के आधार पर ही बात करेंगे। उनका कहना था कि मजारों के नाम पर जो अतिक्रमण किया गया है, उसकी जांच होनी चाहिए। छात्र नेताओं ने चेतावनी दी कि यदि इस मामले में किसी तरह की गड़बड़ी करने की कोशिश की गई, तो वे इसका कड़ा विरोध करेंगे।

विरोध प्रदर्शन के बाद सभी गिरफ्तार छात्रों को शाम को जमानत पर रिहा कर दिया गया। फिलहाल पुलिस ने कहा कि स्थिति नियंत्रण में है।

एएनआई की खबर के मुताबिक, उदय प्रताप कॉलेज के प्रिंसिपल डीके सिंह ने कहा, “कानूनी स्थिति यह है कि मेरे पास जो भी खसरा खतौनी है, उसमें मस्जिद का नाम कहीं नहीं है। कुछ साल पहले यहां एक छोटा सा मजार हुआ करता था। इस मजार को मस्जिद में बदल दिया गया… हमारे पुराने छात्र और शिक्षक बेहतर जानकारी दे सकते हैं… 2012 में और उससे पहले 2-3 बार धीरे-धीरे विस्तार किया गया… धीरे-धीरे इसका निर्माण हुआ है… हमारे दस्तावेजों में कहीं भी इसका नाम नहीं है… लोग बताते हैं कि कैंपस में एक मजार हुआ करती थी… वक्फ बोर्ड का एक नोटिस मिला था। हमने उसका जवाब भी दिया था… शुक्रवार के लिए हमने पुलिस प्रशासन को सूचित कर दिया है कि केवल स्थानीय लोगों और पहले से आने वाले लोगों को ही पास दिया जाए और केवल चुनिंदा लोगों को ही नमाज पढ़ने की अनुमति दी जाए। यह शिक्षा का संस्थान है, यहां राष्ट्र निर्माण का काम होता है और छात्रों का ख्याल रखा जाता है। छात्रों को यहां खुद का विकास, राष्ट्रीय अखंडता और देश के सर्वांगीण विकास के लिए पढ़ाया जाता है… सभी से अपील है कि शांति और व्यवस्था बनाए रखें…।”