‘वेलेंटाइंस डे’ बाजार से इतर सियासत का पर्व भी बन गया है। हर साल नए तुगलकी फरमानों और उसे तोड़ने वाले जांबाजों का संघर्ष नई कहानी बनाता है। इस बार विवाद का सुर उठा था दिल्ली के 35 मेट्रो स्टेशनों में लगे एक विज्ञापन से। इसमें 14 फरवरी को वेलेंटाइंस डे के बजाए मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाने की अपील आसाराम से जुड़े धार्मिक संगठन ने कर डाली थी। विज्ञापन में वेलेंटाइंस डे मनाने वालों को पुलिस का डर दिखाना उस व्यवस्था पर भी सवाल उठा गया जिन्होंने सार्वजनिक जगह पर यह विज्ञापन लगाने की इजाजत दी।
इस वेलेंटाइंस डे प्रेमी जोड़ों के लिए यह राहत की बात है कि उन्हें शिवसेना और बजरंग दल के लोग परेशान नहीं करेंगे। शिवसेना की यूथ विंग सेना ने अपने कार्यकर्ताओं को निर्देश दिए हैं कि वे किसी भी जोड़े को परेशान नहीं करें। पिछले कुछ सालों से वेलेंटाइंस डे पर यह रवायत सी बन गई थी कि बजरंग दल या शिवसेना के कार्यकर्ता सार्वजनिक जगहों पर प्रेमी युगलों को अपमानित करते थे। लेकिन अब इन संगठनों को समझ आ गया है कि सख्ती और तुगलकी फरमान प्रेम को परवान चढ़ाने का ही काम करते हैं।
इसके साथ ही युवाओं के बीच इन दलों की लोकप्रियता भी कम हो रही थी और युवाओं का एक बड़ा तबका इनकी तंगनजरी पर सवाल उठाता था। इसलिए इस बार इन दलों ने वेलेंटाइंस डे पर चुप्पी साधना ही ठीक समझा। वैसे इस साल बड़े पैमाने पर वेलेंटाइंस डे के खिलाफ तुगलकी फरमानों के खिलाफ सुर मंद ही रहे।
दूसरी ओर इस मसले पर विचारक केएन गोविंदाचार्य ने कहा कि वेलेंटाइंस डे का सबंध बाजारवाद से है। और, बाजारवाद एक सभ्यतामूलक हमला है। इस सभ्यतामूलक हमले में आत्मकेंद्रित, स्वच्छंदता पर आधारित संस्कृति जन्म लेती है। आज किसी भी ऐसी उपभोक्तावादी संस्कृति को समझकर निपटाने की जरूरत है। हम कई बार गलत उद्देश्य, गलत रणनीति और गलत शैली से माहौल बिगाड़ देते हैं। युवा मन बाजार का शिकार हो रहा है। वह संबंधों की गहराई को नहीं अपना रहा है, उपभोग को जीवन का लक्ष्य बना रहा है और उसके मन में मूल्यों की महत्ता नहीं है।
वहीं दिल्ली में मातृ-पितृ पूजन दिवस पर चली बहस को लेकर छत्तीसगढ़ के स्कूली शिक्षा मंत्री केदार कश्यप का कहना है कि प्रदेश सरकार आधिकारिक तौर पर 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाती है। इस दिन स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन होता है। मां-बाप स्कूल आते हैं और बच्चे उन्हें पूजते हैं। यह प्रयास बच्चों में संस्कार डालने का एक तरीका है।
इस मुद्दे पर नोएडा सेक्टर-55 के शिवराज सिंह जादौन ने कहा कि आसाराम के कार्यकर्ताओं को मोरल पुलिसिंग करने से रोकना चाहिए। युवाओं को अपनी इच्छा और अनिच्छा बताने की पूरी आजादी होनी चाहिए। मेट्रो स्टेशनों पर विज्ञापन देख कर वैलेंटाइंस डे के प्रति तो नहीं बल्कि संगठन के प्रति गुस्सा पैदा हो गया है। वहीं कश्मीरी गेट में रहने वाली प्रेरणा कौशिक का मानना है कि यह तो दो लोगों के रिश्ते को मजबूत करने का अच्छा उत्सव है। यदि इसी के साथ माता-पिता का पूजन भी करें तो इसमें हर्ज क्या है। लेकिन विज्ञापन लगाकर और डराकर आज की तारीख में वैलेंटाइंस डे मनाने या न मनाने के लिए राजी नहीं किया जा सकता।
छत्तीसगढ़ में आज मातृ-पितृ दिवस
प्रदेश सरकार आधिकारिक तौर पर 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाती है। इस दिन स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन होता है। मां-बाप स्कूल आते हैं और बच्चे उन्हें पूजते हैं। यह प्रयास बच्चों में संस्कार डालने का एक तरीका है।
-केदार कश्यप, छत्तीसगढ़ में स्कूली शिक्षा मंत्री
बाजार का वेलेंटाइंस
वैलेंटाइंस डे का सबंध बाजारवाद से है। और बाजारवाद, एक सभ्यतामूलक हमला है। इस सभ्यतामूलक हमले में आत्मकेंद्रित, स्वच्छंदता पर आधारित संस्कृति जन्म लेती है। युवा मन बाजार का शिकार हो रहा है। वह संबंधों की गहराई को नहीं अपना रहा है, उपभोग को जीवन का लक्ष्य बना रहा है और उसके मन में मूल्यों की महत्ता नहीं है।
-केएन गोविंदाचार्य, विचारक