उत्तराखंड में वन पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने कई कदम उठाए हैं। साथ ही राज्य के दो मशहूर जिम कार्बेट पार्क और राजा जी नेशनल टाइगर रिजर्व पार्क को और अत्यधिक पर्यटकों से जोड़ने के लिए कई सुविधाएं प्रदान की हैं। इन दोनों रिजर्व पार्क में आज पर्यटकों के लिए जंगल की सफारी पर्यटन का सबसे बड़ा केंद्र बन गया है।
साथ ही जो राज्य सरकार के जंगलात महकमे के लिए आमदनी का भी सबसे बड़ा स्रोत बनता जा रहा है और लगातार यहां पर पर्यटकों की आवाजाही बढ़ रही है। भले ही राज्य सरकार को जंगल सफारी के नाम पर मोटी राजस्व रकम मिल रही है परंतु यहां रह रहे वन्यजीवों और जंगल की आबोहवा पर इसका विपरीत प्रभाव भी पड़ रहा है। वन्य जीव वैज्ञानिक और पर्यावरणविद जंगलों में सफारी के नाम पर पर्यटकों की लगातार बढ़ती आवाजाही से चिंतित हैं और उन्होंने समय-समय पर केंद्र और राज्य के जंगलात विभाग को अपनी चिंताओं से अवगत भी कराया है।
उधर राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज देहरादून में उत्तराखंड राज्य वन्यजीव बोर्ड की 17 वींं बैठक बुलाई। उन्होंने काफी लम्बे समय से बोर्ड की बैठक न किए जाने पर सख्त नाराजगी जताई और अधिकारियों को हिदायत दी कि भविष्य में बोर्ड की बैठक नियमित तौर पर होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरलीकरण, समाधान और निस्तारण के मंत्र पर काम करना है। हमें राज्य में जनहित के उद्देश्य से कार्य संस्कृति में सुधार लाना है। बैठकों में केवल बातचीत ही नहीं, बल्कि समाधान भी निकले।
मुख्यमंत्री का कहना है कि राज्य के विकास में वन विभाग की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। वन संरक्षण, वन्यजीव संरक्षण और प्रकृति संरक्षण बहुत जरूरी है। साथ ही राज्य का विकास भी जरूरी है। हमें पारिस्थितिकी और आर्थिकी के बीच तालमेल बिठाकर चलना है। प्रदेश में मानव वन्यजीव संघर्ष को रोकने पर प्राथमिकता से काम करना है।
दो साल तक कोरोना के कारण उत्तराखंड के जिम कार्बेट पार्क और राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क समेत सभी पार्कों में पर्यटकों की आवाजाही पर रोक लगी थी परंतु इस साल गर्मियों में यह पाबंदी हटा दी गई। इससे जंगलात घूमने वाले पर्यटकों की तादाद में भी बहुत अधिक बढ़ोतरी हुई भी। कार्बेट टाइगर रिजर्व पार्क के साथ ही राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क में भी इस साल गर्मियों में जंगल सफारी ने कई सालों का रेकार्ड तोड़ डाला।
राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क में 15 नवंबर, 2021 से पालकी के द्वार खुलने से लेकर 15 जून, 2022 को द्वार बंद होने तक पार्क में 30 हजार से ज्यादा पर्यटकों ने जंगल सफारी का मजा लिया और 60 लाख से ज्यादा राजस्व जंगलात विभाग को मिला। राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क की चीला रेंज पर्यटकों लिए सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र रही। सात महीने में चीला रेंज में 21 हजार से ज्यादा पर्यटक आए, जिनसे जंगलात विभाग ने 47 लाख रुपए से ज्यादा राजस्व कमाया। वहीं इस पार्क की मोतीचूर रेंज में सात हजार से ज्यादा सैलानियों से महकमे को 15 लाख से ज्यादा की आमदनी हुई हुई। साथ ही इस पार्क की रानीपुर, चीलावाली व आशारोड़ी रेंज ने भी अच्छा राजस्व जंगलात विभाग को दिया।
1936 में स्थापित देश का सबसे पुराना जिम कार्बेट राष्ट्रीय पार्क भी आमदनी के मामले में राजाजी राष्ट्रीय पार्क से बहुत आगे रहा। पार्क के उप निदेशक नीरज शर्मा ने बताया कि 15 जून को बरसात शुरू होने के साथ ही पार्क को बंद कर दिया गया था। सात महीने में जिम कार्बेट राष्ट्रीय पार्क में दो लाख, 77 हजार, 389 पर्यटक आए, जिनसे पार्क को एक करोड़, 59 लाख रुपए की रेकार्ड आमदनी हुई। इस तरह उत्तराखंड के दो राष्ट्रीय पार्क पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। साथ ही राज्य सरकार के लिए आमदनी का विशेष जरिया बनते जा रहे हैं।
श्री हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय गढ़वाल विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर आरसी शर्मा का कहना है कि हमें पर्यटकों की राज्य के जंगलों में बढ़ती हुई आवाजाही को देखते हुए वन्यजीवों और वनस्पतियों की रक्षा के लिए कारगर कदम उठाने चाहिए। जितने अधिक पर्यटक इन क्षेत्रों में जाएंगे, उससे पर्यावरण को खतरा होगा।