उत्तराखंड के जोशीमठ में हुए हादसे से पहले की तस्वीरें सामने आ गई हैं। प्लैनेट लैब्स ने धौलीगंगा में सैलाब आने से पहले की मीडियम रेजोल्यूशन तस्वीरें जारी की हैं जो कि जोशीमठ के पास रिज लाइन की है। इन दो तस्वीरों में यही दिखाई देता है कि 6 फरवरी को सबकुछ सामान्य दिख रहा था। लेकिन 7 फरवरी को रिज लाइन के पास टूटते हुए हिमखंड और स्नो डस्ट दिखाई देने लगा। हादसे पहले रिज लाइन चौड़ी हो गई थी। हिमखंड टूट-टूटकर धौली गंगा में गिरते नज़र आ रहे थे। बता दें कि धौलीगंगा तेज बहाव वाली नदी है और आगे यह अलकनंदा से मिलती है।

अभी 1.9 किलोमीटर की सुरंग में फंसे लगभग 35 लोगों को बचाने का काम चल रहा है। हालांकि समय बीतने के साथ परिजनों की उम्मीदें भी धूमिल हो रही है। अभी इस मामले में वैज्ञानिक जांच शुरू नहीं हुई है। सामने आईं तस्वीरों से अंदाजा यह भी लगाया जा रहा है कि यह घटना ग्लेशियर पिघलने की नहीं बल्कि किसी हिमखंड के टूटने या फिर भूस्खलन की भी हो सकती है जिससे किसी तालाब में उफान आ गया हो और पानी धौलीगंगा की घाटी में उतर आया हो।

तस्वीरों से पता चलता है कि रविवार को रैणी गांव के पास फ्रेश स्नोफॉल हुआ। यह भी सैलाब की वजह हो सकता है। इसके बाद होने वाले हिमस्खलन से नदी में 30 से 40 लाख क्यूबिक मीटर पानी आ सकता है। देहरादून के वाडिया इंस्टिट्यूट में ग्लेसियोलॉजी औऱ हाइड्रोलॉजी के हेड संतोष राय ने बताया, ‘हमारी शुरुआती जांच में यही बता चल रहा है कि यह बर्फ पिघलने की घटना थी न कि किसी ग्लेशियल लेक के फटने की। वैज्ञानिकों की दो टीमों को घटनास्थल पर भेजा गया है इससे आपदा का कारण और स्पष्ट हो पाएगा।’

उन्होंने कहा, ‘तस्वीरों से पता चलता है कि 5 और 6 फरवरी को भारी बर्फबारी हुई थी। 7 फरवरी को यह बर्फ पिघलने लगी। इसके बाद बर्फ नीचे की ओर खिसकने लगी। यह एक हिमस्खलन या फिर भूस्खलन भी हो सकता है। इससे नदी की धारा अवरुद्ध हो गई हो और फिर एक तालाब बन गया हो। तालाब जब पानी को न रोक पाया तो इसके फटने से नदी में सैलाब आ गया।’