पूर्व कांग्रेसी बागी नेता और भाजपा की त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार में कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने दो महीने बाद ही बगावती तेवर अपनाने शुरू कर दिए हैं। अपने कट्टर राजनीतिक विरोधी पूर्व मुख्यमंत्री दिग्गज कांग्रेसी नेता हरीश रावत को विकास करने में क्षमतावान नेता बता कर हरक सिंह रावत ने सूबे का राजनीतिक माहौल गरमा दिया है। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत हरक सिंह रावत के बयान पर कोई टिप्पणी नहीं की। दरअसल, हरक सिंह के राजनीतिक रवैए पर हरीश रावत अब पहले की तरह घोषणा नहीं करते हैं।
हरक सिंह रावत ने पूर्व मुख्यमंत्री भाजपा सांसद रमेश पाखरियाल निशंक की भी जम कर तारीफ की। साथ ही सूबे की नौकरशाही को रावत ने जम कर फटकार लगाई। रावत बोले कि राज्य की नौकरशाही सरकार पर जरूरत से ज्यादा हावी है। उत्तराखंड से अच्छा काम तो उत्तरप्रदेश में होता था। हरक सिंह की यह पीड़ा देहरादून में आयोजित सरकारी कर्मचारियों के प्रांतीय अधिवेशन में जगजाहिर हुई। रावत ने कहा- उन्हें ऐसा महसूस होता है कि उत्तराखंड राज्य का गठन सिर्फ नेताओं और अधिकारियों की मौज मस्तियों के लिए ही हुआ है। कभी-कभी तो ऐसा लगता है कि उत्तराखंड का गठन ही न हुआ होता तो वह ज्यादा ठीक था।
कल तक हरीश रावत को पानी पी-पीकर कोसने वाले हरक सिंह रावत आज उनके सबसे बड़े प्रशंसक और पैरोकार नजर आए। उन्होंने कहा कि हरीश रावत से उनके भले ही लाख राजनीतिक मतभेद रहे हों परंतु वे जमीन से जुडेÞ नेता थे। उनमें कई खूबियां थीं लेकिन अफसरशाही ने उन्हें एक नाकाम मुख्यमंत्री बना दिया। इसी तरह रमेश पोखरियाल निशंक की तारीफ के पुल बांधते हुए हरक सिंह ने कहा कि निशंक काफी कम उम्र में मुख्यमंत्री बन गए थे। वह भी राज्य का विकास कर सकते थे, लेकिन उन्हें बीच में ही हटा दिया गया। और वे राज्य का विकास नहीं कर पाए। नौकरशाही ने उन्हें भी नाकाम बना दिया। उत्तराखंड की नौकरशाही ने मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को सर-सर कह कर उनके दिमाग खराब कर दिए। और उन्हें हवा में उड़ाते हुÞए एक ही झटके में धरातल पर लाकर पटक दिया।
सूबे की नौकरशाही पर हमला-दर-हमला करते हुए हरक सिंह रावत ने कहा कि नौकरशाहों ने सर-सर कह कर सूबे की सरकारों और मुख्यमंत्रियों को बड़ी ही चालाकी से सरकाया है। अप्रत्यक्ष रूप से मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की और संकेत करते हुए हरक सिंह ने कहा कि उत्तराखंड में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठते ही व्यक्ति की मनोदशा बदल जाती है। राज्य में अफसरशाही इतनी ज्यादा हावी है कि मुख्यमंत्री कुछ भी घोषणा कर दें तो शासनादेश लागू होने में महीनों लग जाते हैं। जबकि उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री की घोषणा के साथ ही शासनादेश लागू हो जाता है। रावत बोले- 17 सालों में उत्तराखंड का जिस तरह से विकास होना चाहिए था, वैसा विकास राज्य का अब तक नहीं हो पाया है। हरक सिंह रावत ने एकाएक हरीश रावत की तारीफ कर सबको चौंका दिया है। और उत्तराखंड के राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है। राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि हरक सिंह रावत रावत की मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के साथ पटरी नहीं बैठ पा रही है। कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में घर वापसी करने वाले हरक सिंह त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्री बनने के बाद से असहज महसूस कर रहे हैं। इसलिए उन्होंने बड़े ही सधे हुए शब्दों में हरीश रावत और निशंक की तारीफ की और सूबे की नौकरशाही को आड़े हाथों लेते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को चेतावनी दे डाली। हरक सिंह के बयान के कई अर्थ निकाले जा रहे हैं। राज्य सरकार पर दबाव बना कर हरक सिंह रावत अपने चहेतों को कई महकमों में समायोजित करवाना चाहते हैं।
दरअसल, हरक सिंह रावत के सामने सबसे बड़ी परेशानी सूबे के मंत्रियों पर राष्टÑीय स्वयं सेवक संघ की ओर से बेड़ियां डालने से है। संघ ने हर मंत्री पर अपनी नजर टिकाए रखने के लिए संघ का एक-एक प्रचारक एक-एक मंत्री के साथ चौकीदार के रूप में तैनात कर रखा है। खासकर भाजपा में आए कांग्रेस बागी नेताओं पर संघ के जासूसों की निगाह चौबीसों घंटे टिकी हुई है ताकि वे कुछ गड़बड़ी न कर सकें। हरक सिंह रावत को अपना खुला खेल खेलने की आदत है। बेड़ियों में रह कर उन्होंने कभी नेतागीरी नहीं की। इसलिए वे भाजपा से अलग हुए थे। दो दशक बाद वे भाजपा में लौटे। अब उन्हें भाजपा और त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार में रह कर दो महीने में ही घुटन सी महसूस होने लगी है। यह राज्य की भाजपा सरकार के लिए शुभ संकेत नहीं है।
हरीश रावत के बने पैरोकार
कल तक हरीश रावत को पानी पी-पीकर कोसने वाले हरक सिंह रावत मंगलवार को उनके सबसे बड़े प्रशंसक और पैरोकार बन गए। उन्होंने कहा कि हरीश रावत से उनके भले ही लाख राजनीतिक मतभेद रहे हों परंतु वे जमीन से जुडेÞ नेता थे। उनमें कई खूबियां थीं, लेकिन अफसरशाही ने उन्हें एक नाकाम मुख्यमंत्री बना दिया।
निशंक की भी तारीफ
इसी तरह रमेश पोखरियाल निशंक की तारीफ के पुल बांधते हुए हरक सिंह ने कहा कि निशंक काफी कम उम्र में मुख्यमंत्री बन गए थे। वह भी राज्य का विकास कर सकते थे, लेकिन उन्हें बीच में ही हटा दिया गया। समय-समय पर निशंक, भुवन चंद्र खंडूडी, विजय बहुगुणा, हरीश रावत को यह समझाते रहते थे कि नौकरशाही की चापलूसी से सजग रहना।

