हरिद्वार में पिछले नौ महीने से सिखों के प्रथम गुरु गुरुनानक देव की याद में ज्ञान गोदड़ी गुरुद्वारा बनाने की मांग को लेकर सिख समुदाय के विभिन्न संगठन आंदोलनरत हैं। हरिद्वार में प्रेमनगर आश्रम के पास उत्तरी गंगनहर के किनारे पिछले साल चार अक्तूबर से सिख समाज के लोग धरने पर बैठे हुए हैं। यहां स्थित पौने छह बीघा भूमि में सिख समाज ने निशान साहिब और दरबार साहिब की स्थापना भी कर दी है और पिछले साल के चार अक्तूबर से यहां पर लगातार गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ और शबद कीर्तन हो रहा है। पिछले दिनों हरिद्वार में ज्ञान गोदड़ी गुरुद्वारे की स्थापना को लेकर सिख समाज के हजारों लोगों ने हरकी पैड़ी पर धरना भी दिया था और हरिद्वार जिला मुख्यालय में प्रदर्शन भी किया, परंतु अब तक ज्ञान गोदड़ी गुरुद्वारे की स्थापना को लेकर कोई हल नहीं निकल पाया है। ज्ञान गोदड़ी गुरुद्वारे की स्थापना का मसला उत्तराखंड और उत्तरप्रदेश सरकार के बीच फाइलों में उलझकर रह गया है। वैसे तोjकेंद्रीय अल्पसंख्यक आयोग की सिफारिश पर उत्तराखंड सरकार ने पिछले साल ज्ञान गोदड़ी गुरुद्वारा प्रबंध समिति को प्रेमनगर आश्रम में गंगनहर के किनारे पौने छह बीघा भूमि आवंटित करने की सिफारिश उत्तरप्रदेश की तत्कालीन समाजवादी पार्टी की सरकार के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को भेजी थी।
सिखों का एक प्रतिनिधिमंडल लखनऊ में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और तत्कालीन सिंचाई मंत्री शिवपाल सिंह से भी मिला था। दोनों ने सिख समाज को भूमि आंवटन करने का भरोसा भी दिया था। परंतु भूमि आवंटन को लेकर तत्कालीन सपा सरकार ने कोई कार्यवाही नहीं की और यह मामला अधर में लटक गया। गुरुद्वारा ज्ञान गोदड़ी प्रबंध समिति के संरक्षक महंत जगजीत सिंह महाराज का कहना है कि सन 1504 में गुरुनानक देव जी हरिद्वार के हरकी पैड़ी पर गंगा दर्शन के लिए आए थे। उसी याद में सिख समुदाय हरिद्वार में ज्ञान गोदड़ी गुरुद्वारा बनाना चाहता है।उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड की सरकारों के चलताऊ रवैये के कारण सिख समुदाय में भीतर ही भीतर असंतोष पनप रहा है। पिछले दिनों दुनिया भर के गुरुद्वारों में ज्ञान गोदड़ी गुरुद्वारे की मांग को लेकर एक दिन अरदास की गई थी। इस तरह से ज्ञान गोदड़ी गुरुद्वारे की स्थापना के आंदोलन ने वैश्विक रूप धारण कर लिया है। पिछले दिनों सिख समुदाय का प्रतिनिधिमंडल उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से देहरादून में मिला। इस प्रतिनिधिमंडल को मुख्यमंत्री ने आपसी बातचीत से ज्ञान गोदड़ी गुरुद्वारे के मामले को सुलझाने का भरोसा दिया। महंत जगजीत सिंह का कहना है कि हरिद्वार के विधायक और कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने प्रबंध समिति को यह जानकारी दी कि उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड की परिसंपत्तियों के बंटवारे को लेकर उत्तरी गंगनहर की भूमि को ज्ञानगोदड़ी गुरुद्वारे को देने के लिए सूचीबद्ध किया गया है।
हरकी पैड़ी के गंगा तट पर ज्ञान दिया था गुरुनानक देव ने
हरिद्वार में हरकी पैड़ी पर गुरुनानक देव ने गंगा तट पर तीर्थपुरोहितों को पूरब दिशा की ओर गंगाजल चढ़ाते हुए देखा तो उन्होंने उत्सुकतावश तीर्थपुरोहितों से पूछा कि आप किसे जल चढ़ा रहे हैं। तीर्थपुरोहितों ने गुरु महाराज को उत्तर दिया कि वे सूर्य भगवान को जल चढ़ा रहे हैं। इस पर गुरुनानक देव जी ने पश्चिम दिशा की ओर जल चढ़ाना शुरू कर दिया तो तीर्थपुराहितों ने गुरु महाराज से पूछा कि वे पश्चिम दिशा की ओर जल क्यों चढ़ा रहे हैं, जिस पर उन्होंने जवाब दिया कि जब उनका चढ़ाया हुआ जल सूर्य भगवान के पास जा सकता है तो मेरा चढ़ाया हुआ गंगाजल पंजाब में स्थित उनके खेतों में क्यों नहीं जा सकता है। इस तरह गुरु महाराज ने हरकी पैड़ी पर तीर्थपुराहितों को घिसी-पिटी मान्यताओं के खिलाफ लोगों में जनचेतना पैदा की और गंगा के इस तट पर ज्ञान बांटा। हरकी पैड़ी पर लोगों को गुरुनानक देव द्वारा ज्ञान दिए जाने के बाद इस क्षेत्र की मान्यता ज्ञान गोदड़ी के रूप में भी विख्यात है। सिख समाज के लोग कई सालों से हरकी पैड़ी में ज्ञान गोदड़ी गुरुद्वारे की स्थापना की मांग करते आ रहे हैं।
ज्ञान गोदड़ी गुरुद्वारा प्रबंध समिति के संरक्षक महंत जगजीत सिंह का कहना है कि सिख समुदाय हरकी पैड़ी पर गुरुनानक देव की स्मृति में एक स्मारक बनाना चाहता है और प्रेमनगर आश्रम के पास गंगनहर सिंचाई विभाग उत्तरप्रदेश की पौने छह बीघा जमीन पर ज्ञान गोदड़ी गुरुद्वारे का निर्माण कराने के लिए आंदोलनरत है। परंतु ज्ञान गोदड़ी गुरुद्वारे का निर्माण उत्तराखंड और उत्तरप्रदेश की सरकारों की राजनीति की भेंट चढ़ता हुआ नजर आ रहा है।
