उत्तराखंड में खनन माफियाओं, राजनेताओं, अफसरों और दंबगों के बीच गठजोड़ बना हुआ है। इसके कारण उत्तराखंड में अवैध खनन का कारोबार तेजी से फल-फूल रहा है। एक सर्वे के मुताबिक उत्तराखंड में अवैध खनन वैध खनन के कारोबार से तीन गुना ज्यादा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक उत्तराखंड में खनन का वैध कारोबार करीब 17 सौ करोड़ रुपये सालाना है और राज्य सरकार को पिछले वित्तीय वर्ष में खनन से 335 करोड़ रुपये का राजस्व मिला था। गैरसरकारी संगठनों के सर्वे के मुताबिक अवैध कारोबार 51 सौ करोड़ रुपये के आसपास है।
गढ़वाल और कुमाऊं में जोरों पर खनन
सुप्रीम कोर्ट, नैनीताल हाईकोर्ट और केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा कई बार नदियों में अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए कई निर्देश जारी किए। परंतु वे सभी बेअसर रहे।
उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल में गंगा, भागीरथी, अलकनंदा, मंदाकिनी, नंदाकिनी नदियों में अवैध खनन का कारोबार चलता है। श्रीनगर से ऊपर अलकनंदा नदी में श्रीयंत्र टापू तथा पहाड़ के पहाड़ अवैध खनन से जुड़े माफिया ने खोद डाले हैं। कुमाऊं मंडल में नदियों से खनन के साथ पहाड़ों में खड़िया और मेग्नासाइट के खनन का अवैध कारोबार तेजी से फैला है। कुमाऊं मंडल के नैनीताल जिले के हल्द्वानी-लालकुआं क्षेत्र में गोला नदी तथा रामनगर में कौसी नदी खनन माफिया के लिए सबसे मुफीद है। अवैध खनन से नदियों का स्वरूप ही बिगड़ गया है।
निर्देशों को ठेंगा
कुमाऊं मंडल में काली, रामगंगा, सरयू नदियों के अलावा गाड-गदेरों में अवैध खनन होता है। पर्यावरण के क्षेत्र में सक्रिय माटू जन संगठन के समन्वयक विमल भाई का कहना है कि राज्य सरकार व प्रदूषण नियत्रंण बोर्ड के अनुसार नदियों में एक जून से 30 सिंतबर तक खनन बंद करने के निर्देश दिए गए हैं। परंतु गढ़वाल मंडल के श्रीनगर में अलकनंदा नदी में अवैध खनन बेरोक-टोक जारी है। सामाजिक कार्यकर्ता पीसी तिवारी के मुताबिक अलग राज्य बनने के बाद उत्तराखंड से प्राकृतिक संसाधनों के दोहन में तेजी आई है। राजनेताओं अफसरों के सरंक्षण में खनन माफिया का कारोबार तेजी से फला-फूला है। अवैध खनन की यह कमाई राजनेता विधानसभा पंचायतों और स्थानीय निकायों के चुनावों में खर्च करते हैं।
रावत बोले, कई कदम उठाए
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत का कहना है कि अवैध खनन को रोकने के लिए कई कदम उठाए गए हंै और हमारी खनन की जो नीति होगी वह पारदर्शितापूर्ण होगी। जिस तरह राज्य में खनन माफिया हावी हुआ है, उसका तंत्र तोड़ने के लिए हमारी खनन नीति माफियामुक्त और राजस्व बढ़ाने वाली होगी। साथ ही कोशिश होगी की रेती, बजरी नियंत्रित मूल्य पर मिलें। हमारी पूरी कोशिश है कि अवैध खनन पर रोक लगाकर हर साल मिलने वाले राजस्व को और अधिक बढ़ाया जा सके।
’मातृसदन के कार्यकर्ता स्वामी दयानंद ब्रह्मचारी के मुताबिक नैनीताल हाई कोर्ट ने बागेश्वर के नवीन चन्द्र पंत की याचिका पर 8 मार्च 2017 को उत्तराखंड की समस्त नदियों में खनन बंद करने और नदियों में खनन के अध्ययन के लिए एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन करने का निर्देश दिया था। राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले के खिलाफ याचिका दायर की थी। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने 10 अप्रैल 2017 को नैनीताल हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी और उत्तराखंड की नदियों में फिर से खनन चालू हो गया। उत्तराखंड वन विकास निगम ने सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला देकर हरिद्वार के वन क्षेत्र में गंगा नदी में खनन खोल दिया था। इसके विरोध में मातृसदन के स्वामी शिवानंद सरस्वती और उनके शिष्य आत्मबोधानंद अनशन पर बैठे थे।
खनन को लेकर कई याचिकाएं
’नैनीताल हाई कोर्ट ने 5 दिसंबर 2016 को देहरादून के मौहम्मद सलीम की याचिका पर गंगा नदी और उसके उच्चतम क्षेत्रों में खनन पर रोक लगाने के निर्देश दिए थे। राज्य सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 5 मई 2017 को हाई कोर्ट के इस आदेश पर भी रोक लगा दी। मोहम्मद सलीम की याचिका पर ही 20 मार्च 2017 को नैनीताल हाई कोर्ट ने गंगा नदी को एक जीवित नदी घोषित कर दिया था। राज्य सरकार ने इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर रखी है। फिलहाल ये मामला सुप्रीम कोर्ट के विचाराधीन है।

