अफगानिस्तान के जलालाबाद में रहने वाला तब 16 साल का रोमल वाहिजादा भी देश में तालिबान और सरकार के बीच चल रहे संघर्ष से बेखबर अपनी दुनिया में बहुत खुश था। मगर बाद में ऐसा दिन भी आया जब वाहिजादा की पूरी दुनिया उजड़ गई। वो शांत सर्दियों की सुबह उसकी जिंदगी की सबसे भयावाह सुबह में से एक बन गई। इस दिन तालिबानी आतंकियों ने उसके अपनों पर हमला कर दिया। दर्जनों लोगों को सिर धड़ से अलग कर दिए। इसमें वाहिजादा के बेहद करीबी रिश्तेदार भी शामिल थे। अपनी पुरानी यादों को याद करते हुए वह कहते हैं, ‘आतंकियों का यह हमला उनकी ताकत दिखाना था।’ वाहिजादा कहते हैं कि उन पुरानी घटनाओं को याद कहते थे तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं। घटना के बाद डर इस कदर मन में बैठ गया कि लंबे समय तक किसी से बात तक नहीं की। जलालाबाद के रोमल वाहिजादा के मुताबिक अपने मुल्क में निर्दोषों का खून बहता देखकर उन्होंने मन ही मन प्रण ले लिया था आर्मी में जाना है।

अपने माता-पिता का एकलौता और मिडिल क्लास से आने वाले रोमल के लिए, युद्ध से जूझ रहे अफगानिस्तान में मुमकिन नहीं था कि वो अपना सपना पूरा कर पाएं। इस मामले में परिवार ने भी उनका साथ नहीं दिया। वाहिजादा कहते हैं, ‘महिलाओं और बच्चों का रोना अभी भी मेरे कानों में गूंजता है। यही वजह है जो मुझे तालिबान के खिलाफ लड़ने के लिए हौसला देता है। मैं अन्य लोगों से भी उम्मीद करता हूं कि वो आगे आएं और अफगान आर्मी में शामिल हों ताकि आतंकियों का सफाया किया जाए सके।’

गौरतलब है कि करीब एक साल तक ऑस्ट्रेलियन आर्मी में दुभाषिया के रूप में काम करने के बाद वाहिजादा ने 21 साल की उम्र में देहरादून स्थित इंडियन मिलिट्री अकादमी ज्वाइन कर ली। अब उनका सपना पूरा हो रहा जब वह IMA से पासआउट होकर अफगान नेशनल आर्मी में शामिल होने जा रहे हैं। वाहिजादा के अलावा अफगानिस्तान के 48 अन्य कैडेट IMA से पासआउट हुए हैं। इसी तरह से 15 कैडेट भूटान, पांच मालद्वीप और ताजिकिस्तान, दो-दो श्रीलंका और वियतनाम और नेपाल से ग्रेजुएट हुए हैं।