एक पखवाड़े बाद उत्तराखंड में शुरू होने वाले कांवड़ मेले को लेकर प्रशासन की तैयारियां आधी-अधूरी सी चल रही है। मुजफ्फरनगर से लेकर हरिद्वार, देहरादून और ऋषिकेश का राष्ट्रीय राजमार्ग अधूरा पड़ा हुआ है। इस राजमार्ग में बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं। दो महीनों से इस राष्ट्रीय राजमार्ग का काम केंद्र सरकार और निर्माण कार्य करने वाली कंपनी के बीच चल रहे विवाद के कारण बंद पड़ा है। कंपनी दस साल से इस राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण कार्य कछुआ चाल से कर रही है। हर साल कांवड़िये बसों, ट्रेनों और निजी वाहनों से आते हैं और पैदल लौट जाते हैं। पैदल जाने के लिए कांवड़ियों के लिए उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की सरकारों ने हरिद्वार के मायापुर से मेरठ, मुरादनगर तक उत्तरी गंग नहर पटरी मार्ग तय कर रखा है। आठ साल पहले इस पटरी मार्ग पर पक्की सड़क का निर्माण किया गया था। परंतु बीते आठ महीने से नहर पटरी मार्ग खस्ताहाल है।

हरिद्वार से लेकर बहादराबाद, धनौरी, रूड़की, मंगलौर और नारसन में कांवड़ पटरी नहर मार्ग कई जगह से टूटा पड़ा है और मार्ग के बीचों-बीच गहरे गड्ढे हो गए हैं। यह मार्ग हरिद्वार से लेकर नारसन तक करीब 60 किलोमीटर है। प्रशासन को अब तक इस पटरी मार्ग को ठीक करने की सुध नहीं आई है। बारिश के कारण इस सड़क मार्ग का निर्माण भी अधर में लटका हुआ है। कांवड़ मेले के मौके पर जिला प्रशासन को इस सड़क मार्ग की सुध आती है। कांवड़ मेले के दौरान कांवड़ियों की पार्किंग के लिए बने बैरागी कैंप में अतिक्रमण हो गया है। सिंचाई विभाग के अधिकारियों को यह अतिक्रमण हटाने में पसीने छूट रहे हैं। क्योंकि इस क्षेत्र में अधिकांशत: विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं तथा विभिन्न अखाड़ों के साधुओं ने कब्जा कर रखा है।

हरिद्वार के जिलाधिकारी दीपक रावत ने कांवड़ मेले की तैयारियों का जायजा लेते हुए विभिन्न विभागों को कांवड़ मेला क्षेत्र में दस जुलाई तक सारे कार्य पूरे करने के निर्देश दिए। परंतु जिस हिसाब से विभिन्न विभाग काम कर रहे हैं, लगता नहीं है कि कामकाज मेला खत्म होने तक पूरा हो पाएगा। हरिद्वार नगर निगम के अधिशासी अभियंता अनंत कुमार सैनी ने बताया कि कांवड़ मेला क्षेत्र में 156 अस्थायी शौचालय बनाए जाएंगे। नगर निगम में सफाई कर्मचारियों की कमी को देखते हुए कांवड़ मेला क्षेत्र में सफाई का ठेका दिया जाएगा। हरिद्वार की नगर पुलिस अधीक्षक ममता वोहरा ने बताया कि सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता बनाने के लिए पूरे कांवड़ मेला क्षेत्र को विभिन्न सेक्टरों और जोनों में बांटा जाता है। दरअसल कांवड़ मेला उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की पुलिस के लिए कानून व्यवस्था को लेकर सबसे बड़ा सिरदर्द होता है। इस दौरान कई अपराधी इस क्षेत्र में आकर अपराध करते हैं।

कई बार कांवड़ मेले में कुछ कांवड़िये हुड़दंग मचाते हैं और पुलिस वालों तथा स्थानीय नागरिकों के साथ मारपीट करते हैं। इससे कांवड़ मेले के दौरान हरिद्वार-रूड़की-ऋषिकेश में अब 15 दिनों के लिए स्कूल कॉलेज बंद कर दिए जाते हैं और यहां के लोग घरों में कैद होकर रह जाते हैं। जिला बार एसोसिएसन के पूर्व अध्यक्ष रामकुमार शर्मा का कहना है कि कांवड़ मेला असामाजिक तत्वों का जमावड़ा बनता जा रहा है। इसके साथ ही, उत्तराखंड का पुलिस प्रशासन हर साल कानफोड़Þू डीजे बंद कराने का दावा करता है, परंतु यह दावा हवाहवाई साबित होता है।

11 अगस्त तक मेला

हरिद्वार कांवड़ मेला 27 जुलाई गुरु पूर्णिमा से शुरू होगा और 11 अगस्त तक चलेगा। 11 अगस्त को कांवड़िये शिवजी का गंगाजल से अभिषेक करेंगे।

15 दिन चलेगा मेला

15 दिनों में हरिद्वार में करीबन साढ़े चार करोड़ कांवड़ियों के आने का अनुमान है। पांच-छह सालों में कांवड़ियों की तादाद लगातार बढ़ रही है। पिछले साल साढ़े तीन करोड़ कांवड़िये गंगाजल लेने हरिद्वार पहुंचे थे।

कारोबारियों की रहेगी पौ-बारह

एक अनुमान के मुताबिक हरिद्वार के 15 दिनों में कांवड़ मेले के दौरान डेढ़ से दो अरब रुपए का कारोबार होता है। कांवड़ का पखवाड़ा यहां के कारोबारियों के चेहरों पर मुस्कान ला देता है।

तस्वीर का दूसरा पहलू

  • कांवड़ियों के लिए बनाए गए मार्ग कुछ सालों से हैं बुरी हालत में
  • कांवड़ियों के लिए बने पार्किंग क्षेत्र में हो गया है अतिक्रमण
  • नहर पटरी मार्ग पर पक्की बनी सड़क पर हो गए हैं गड्ढे