उत्तराखंड के देहरादून में एक सास ससुर ने समाज की दकियानूसी सोच को दरकिनार कर वह फैसला लिया जिस पर हर किसी के लिए सोचना भी मुश्किल होता है। जिस बेटी को वह अपनी बहू बनाकर लाए थे, उसी का कन्यादान कर विदा कर दिया। यहां के बालावाला निवासी विजयचंद ने बेटे संदीप की शादी 2014 में कविता से हुई थी। लेकिन अगले ही साल 2015 में संदीप की मौत हो गई। संदीप के हमेशा के लिए चले जाने से पूरा परिवार टूट गया। बेटे की मौत से दुखी माता पिता ने वक्त के साथ खुद को और बहू को संभाला।
सास ससुर ने कुछ समय बाद कविता की फिर से शादी कराने का फैसला लिया। कविता को सास ससुर ने हिम्मद दी और आगे बढ़ने को कहा। इसके बाद दोनों ने बहू के लिए लड़का तलाशा और धूमधाम से शादी करा संकुचित सोच से बंधी सामाजिक बेड़ियों को तोड़ते हुए घर से विदा कर दिया। कविता कहती हैं कि, संदीप की मौत के बाद उन्होंने मायके जाने को सोचा। लेकिन फिर सास ससुर की चिंता ने यहीं का हो जाने को मजबूर कर दिया।
वहीं, अब कविता के पिता बन चुके विजय चंद कहते हैं कि, बेटे के मौत के बाद सभी ने कविता को वापस भेजने को कहा। समाज को लगता था कि कविता परिवार के लिए अच्छी नहीं है। लेकिन हमने उसका साथ नहीं छोड़ा। अब तो वह हमसे कभी अलग नहीं हो पाएगी। विजय चाहते हैं कि इस घटना से हमारा समाज कुछ सीख ले।