अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर उत्तराखंड फिर से एक बार सुर्खियों में आ गया है। देश के शीर्ष संत श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि ने दीपावली की पूर्व संध्या पर एलान किया है कि यदि आयोध्या में जल्द ही राम मंदिर का निर्माण शुरू नहीं हुआ तो वे 6 दिसंबर से हरकी पौड़ी हरिद्वार पर बेमियादी अनशन शुरू कर देंगे। अब राम मंदिर निर्माण के लिए निर्णायक आंदोलन छेड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट को देश के बहुसंख्यक समाज की भावनाओं को ध्यान में रखना चाहिए और राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करना चाहिए। उन्होंने कहा कि शायद राम मंदिर बलिदान चाहता है। पर्यावरणविद् स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद की तरह राम मंदिर के निर्माण के लिए यदि उनके प्राण भी चले जाएं तो कोई बात नहीं।
महामंडलेश्वर स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि की इस घोषणा से राम मंदिर के आंदोलन में फिर से एक बार उबाल आ गया है। स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि का संत समाज में ही नहीं, बल्कि देश-विदेश में भी बहुत सम्मान है। उनके पूरे विश्व में लाखों की संख्या में अनुयायी हैं। वे हरिद्वार में भारत माता मंदिर, समन्वय सेवा ट्रस्ट तथा विनोवा भावे सेवा संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष हैं। भारत माता मंदिर दुनिया में अकेला ऐसा मंदिर है, जहां देवी देवताओं के साथ-साथ आजादी के आंदोलन के शहीदों, भगवान वाल्मिकी, संत रविदास जैसे धर्म प्रवर्तकों की प्रतिमाओं के साथ-साथ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, रानी लक्ष्मी बाई जैसी महान विभूतियों की प्रतिमाएं भी स्थापित हैं। भारत माता मंदिर की स्थापना उन्होंने 80 के दशक में की थी। इस मंदिर की नींव राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख रहे बाला साहेब देवरस ने की थी और इसका लोकार्पण तब की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया था। वे भानुपुरा पीठ के निवर्तमान शंकराचार्य भी रहे हैं। राम मंदिर आंदोलन की सूत्रधार विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के संस्थापक न्यासी भी हैं।
संतों की श्रेणी में स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी सर्वश्रेष्ठ वक्ताओं में स्थान रखते हैं। तीन साल पहले उन्हें भारत सरकार ने पद्म विभूषण की उपाधि से भी नवाजा था। स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि भारत के ऐसे संतों में हैं, जिनका सभी राजनीतिक दलों और विभिन्न धर्मों के धर्माचार्य समान रूप से सम्मान करते हैं। इसलिए उनके द्वारा राम मंदिर के निर्माण के लिए अनशन की घोषणा करना बहुत मायने रखता है। वे 90 के दशक में राम मंदिर निर्माण आंदोलन में बहुत सक्रिय रहे और उनका आश्रम राम मंदिर का आंदोलन की गतिविधियों का प्रमुख केंद्र रहा है। स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि ने वीएचपी की अनेक धर्म संसदों, मार्गदर्शक मंडलों की बैठकों और संत सम्मेलनों की समय-समय पर अध्यक्षता की है। वे जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि और जाने-माने संत स्वामी गोविंद गिरि के गुरु हैं।
स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि अयोध्या में भगवान श्रीराम का मंदिर का निर्माण में देरी होने और इस मुद्दे को लेकर हो रही राजनीति से बेहद आहत हैं। वे कहते हैं कि जैसे महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के बनाए सभी कानून तोड़कर स्वतंत्रता आंदोलन चलाया था, वैसे ही राम मंदिर के लिए आंदोलन चलेगा। देश के बहुसंख्यक समाज की भावना है कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर बने और वे इस जन भावना का सम्मान करते हुए ही हरकी पौड़ी हरिद्वार में अनशन शुरू करेंगे। इस बार राम मंदिर को लेकर निर्णायक आंदोलन छेड़ा जाएगा। पचास लाख से ज्यादा लोग जेल जाएंगे। स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि कहते हैं कि जब पुरातत्व विभाग ने भी यह साबित कर दिया है कि अयोध्या में राम मंदिर था। वहां आम्र पल्लव कलश तथा मूर्तियां मिली थीं। मुसलिम समुदाय से स्वामी जी आह्वान करते हैं कि वे अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए बड़प्पन दिखाएं तो वे मस्जिद बनवाने की जिम्मेदारी लेंगे और भारत माता मंदिर की ओर से मस्जिद निर्माण के लिए सामग्री उपलब्ध करवाई जाएगी। उन्होंने बताया कि विश्वनाथ प्रताप सिंह ने अपने प्रधानमंत्रित्व काल में मुझे मंदिर के मुद्दे को हल करने के लिए जिम्मेदारी सौंपी थी। मैंने हिंदू और मुसलमानों के बीच मध्यस्थता कर मंदिर निर्माण के लिए मौलानाओं को राजी भी कर लिया था। परंतु तब जामा मस्जिद के इमाम अब्दुल्ला बुखारी ने चेतावनी दी थी कि यदि फैसला हुआ तो वे ईंट से ईंट बजा देंगे। इस पर विवाद उठता देख वीपी सिंह ने संबंधित समझौते पर हस्ताक्षर यह कहकर नहीं किए कि गलती हो गई है। भावुक होते हुए स्वामी सत्यमित्रानंद ने देश भर के संतों के साथ-साथ कवियों, साहित्यकारों आदि से आह्वान किया है कि वे राम मंदिर निर्माण में उनका साथ दें।

