Uttarakhand News: उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में 15 जगहों के नाम बदलने की घोषणा की है। इसके कुछ दिनों के बाद वहां पर रहने वाले एक राजपूत समुदाय के सदस्य ने देहरादून के जिला मजिस्ट्रेट को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि उनके गांव का नाम मियांवाला से बदलकर रामजीवाला ना किया जाए। पूरे मियावाला क्षेत्र के लोगों के नाम से लिखे गए पत्र में लोगों ने कहा कि कुछ राजनीति से प्रेरित लोग हमारे क्षेत्र का नाम बदलने की कोशिश कर रहे हैं।

लोगों ने दावा किया कि ब्रिटिश लेखकों जैसे जीआरसी विलियम्स ने 1874 में अपनी किताब मेमोयर्स ऑफ देहरादून में व एचजी वाल्टन ने 1911 में अपनी किताब देहरादून गजेटियर में मियांवाला के बारे में बताया है। इसमें कहा गया है, ‘मियावाला सिर्फ एक नाम नहीं है, यह एक ऐतिहासिक धरोहर है जो हमारे पूर्वजों और बुजुर्गों के सम्मान और आदर को बनाए रखती है। हमारी पहचान मियांवाला से जुड़ी हुई है और यह ऐसी ही रहेगी। हालांकि, कुछ राजनीतिक रूप से प्रेरित व्यक्ति हमारे क्षेत्र का नाम बदलने की कोशिश कर रहे हैं। इससे हमारे समुदाय को बांटने की कोशिश की जा रही है।’

लोगों ने किया क्षेत्र का नाम ना बदलने का आग्रह

लोगों ने कहा, ‘हम आपसे आग्रह करते हैं कि मियांवाला क्षेत्र में लगाए गए किसी भी विज्ञापन या पोस्टर को हटा दें जो क्षेत्र के नाम बदलने का प्रचार करते हैं। हम आपसे विनम्रतापूर्वक आग्रह करते हैं कि सुनिश्चित करें कि हमारे क्षेत्र का नाम मियांवाला ही रहे।’ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को घोषणा की कि हरिद्वार, देहरादून, नैनीताल और उधम सिंह नगर जिलों में 15 जगहों का नाम जनभावना और भारतीय संस्कृति और विरासत के हिसाब से बदला जाएगा।

उत्तराखंड में बदले कई जगहों के नाम

ऐसा माना जाता है कि मियां की उपाधि गुलेर रियासत के लोगों की टिहरी गढ़वाल के शासकों ने दी थी। यह अब हिमाचल प्रदेश का हिस्सा है और जब गुलेर राजपूत टिहरी गढ़वाल चले गए तो उन्हें लैंड ग्रांट के तौर पर मियांवाला दिया गया। राजनीतिक विश्लेषक जय सिंह रावत के अनुसार, क्षेत्र के कई राजपूत अभी भी अपने सरनेम में मियां लगाते हैं।

नगर निगम के कमिश्नर ने क्या बताया?

नगर निगम के कमिश्नर नमामि बंसल ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उन्होंने रेवेन्यू अधिकारियों को पत्र लिखकर रिपोर्ट मांगी है। उन्होंने कहा कि यह मुख्यमंत्री की घोषणा के तहत किया गया है। अब तक कुछ भी नोटिफाइड नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि कानूनी प्रक्रिया अपनाई जाएगी। अगर कोई आपत्ति है तो उस पर विचार किया जाएगा।

कांग्रेस ने बोला हमला

कांग्रेस नेता गणेश गोदियाल ने कहा कि अगर मुख्यमंत्री इस शहर का इतिहास पढ़ेंगे तो उन्हें भी शर्म आएगी। उन्होंने कहा, ‘सरकार को सोचना चाहिए कि गांवों के नाम बदलकर वह लोगों की जिंदगी में क्या बदलाव ला रही है। सरकार को रोजगार, महंगाई , सोने की कीमतों और भ्रष्टाचार पर ध्यान देना चाहिए। इन गांवों का नाम बदलते समय उन्होंने अब राजपूतों की जागीर का नाम बदल दिया है। सरकार को इस क्षेत्र के इतिहास के बारे में पता होना चाहिए।’