Uttarakhand Heavy Rains: उत्तराखंड में भारी बारिश के बीच भीमताल में एक उफनती झील में भारतीय वायु सेना (IAF) के दो जवान डूब गए। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। क्षेत्राधिकारी प्रमोद शाह ने बताया कि पंजाब के पठानकोट निवासी प्रिंस यादव (22) और बिहार के मुजफ्फरपुर निवासी साहिल कुमार (23) चार महिलाओं सहित आठ वायुसेना कर्मियों के ग्रुप में शामिल थे, जो नैनीताल में छुट्टियां मना रहे थे।
क्षेत्राधिकारी प्रमोद शाह ने बताया कि स्थानीय लोगों ने पुलिस के साथ मिलकर बचाव अभियान चलाया और करीब एक घंटे तक चली मशक्कत के बाद यादव और कुमार के शवों को झील से बाहर निकाला।
बता दें, राज्य में हो रही भारी बारिश के कारण दैनिक जीवन प्रभावित हुआ है, राज्य भर में सौ से ज्यादा सड़कें बंद हो गई हैं, चारधाम यात्रा बाधित हुई है तथा उत्तरकाशी जिले के गीथ क्षेत्र के कुछ गांवों में खाद्यान्न की कमी हो गई है। यमुनोत्री जाने वाला राजमार्ग पिछले पांच दिनों से अवरुद्ध है। वहीं सिलाई मोड़ पर निर्माण श्रमिकों के आश्रय स्थल भारी भूस्खलन की चपेट में आ गया। जिससे नौ लोग लापता हो गए और सड़क का 12 मीटर हिस्सा बह गया।
अधिकारियों ने बताया कि सोनप्रयाग और गौरीकुंड के बीच भूस्खलन के मलबे के कारण केदारनाथ जाने वाला मार्ग भी अवरुद्ध है, जिससे दोनों स्थानों के बीच आवाजाही बंद है। उन्होंने बताया कि इन दोनों स्थानों को खोलने की कोशिश जारी है।
गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से बात कर रुद्रप्रयाग जिले के केदारनाथ धाम सहित राज्य के आपदा की दृष्टि से संवेदनशील जिलों की स्थिति का आकलन किया। धामी ने एक्स पर एक पोस्ट में इस घटनाक्रम को साझा करते हुए कहा कि गृह मंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया है कि एनडीआरएफ और आईटीबीपी सहित केंद्र सरकार की आपातकालीन राहत एजेंसियों को तुरंत तैनात किया जा रहा है। यह सुनिश्चित करने के लिए है कि चारधाम यात्रा निर्बाध रहे और श्रद्धालुओं को यात्रा के दौरान किसी भी तरह की असुविधा का सामना न करना पड़े।
वहीं, शुक्रवार सुबह कई स्थानों पर चट्टानें गिरने से बद्रीनाथ राजमार्ग अवरुद्ध हो गया। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र ने बताया कि बारिश से संबंधित अवरोधों के कारण पहाड़ी राज्य में कुल 109 सड़कें बंद हैं।
अधिकारियों ने बताया कि हरिद्वार में गंगा, चमोली में अलकनंदा, नंदाकिनी और पिंडर, उत्तरकाशी में भागीरथी और पिथोरागढ़ जिले में काली, गोरी और सरयू नदियां समेत अधिकांश नदियां उफान पर हैं और खतरे के निशान से सिर्फ कुछ मीटर नीचे बह रही हैं। बद्रीनाथ से लेकर रुद्रप्रयाग तक अलकनंदा नदी उफान पर है। मंदाकिनी का जलस्तर भी पिछले तीन दिनों से बढ़ रहा है और इसके तटवर्ती इलाके पानी में डूबे हुए हैं।
प्रशासन लाउडस्पीकरों के माध्यम से घोषणाएं कर रहा है। साथ ही नदी के किनारों के निकट रहने वाले लोगों को सचेत कर रहा है। अधिकारियों ने बताया कि उत्तरकाशी के बड़कोट क्षेत्र के स्यानाचट्टी में यमुना नदी के उफान पर होने से बनी झील का पानी किनारे स्थित घरों और होटलों में घुसने लगा है।
बड़कोट के एसडीएम बृजेश तिवारी ने कहा कि उन्होंने स्थिति का आकलन करने के लिए झील स्थल का दौरा किया और गाद हटाने तथा झील के निकास द्वार को खोलने के लिए एक उत्खनन मशीन मंगाई गई।
यमुनोत्री राजमार्ग को फिर से खोलने के प्रयास भी किए जा रहे हैं, जो ओजरी और बनास सहित कई स्थानों पर टूट गया है। इस मार्ग के लंबे समय तक बाधित रहने से गीथ क्षेत्र के गांवों में खाद्यान्न की कमी होने लगी है, जिसके कारण स्थानीय लोगों ने अधिकारियों से इस समस्या को और बढ़ने से पहले हल करने का आग्रह किया है।
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता महावीर पंवार माही ने कहा कि प्रभावित गांवों में बिना किसी देरी के भोजन और अन्य आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध कराने के लिए प्रशासन को आवश्यक कदम उठाने चाहिए। देहरादून में प्रिंस चौक और दून अस्पताल के पास गोल चक्कर पर सड़कें जलमग्न हैं, जहां बंद नालियों और ओवरफ्लो सीवर चैंबरों ने दफ्तर जाने वालों और स्कूली बच्चों की परेशानी बढ़ा दी है। अधिकारियों ने बताया कि अगले कुछ दिनों तक राज्य के विभिन्न जिलों में इसी तरह का मौसम रहने की संभावना है।