Uttarakhand Forest Fire: उत्तराखंड में पिछले कुछ महीनों में आग लगने की कई खबरें सामने आई हैं, जिसे काबू करना राज्य की पुष्कर सिंह धामी सरकार (Pushkar Singh Dhami) के लिए एक कड़ी चुनौती बन गया है। अब सीएम ने न केवल आग लगने की वजह भी बताई है, बल्कि ये भी बताया है कि इस आग को कंट्रोल करने के लिए क्या प्लान है। सीएम ने खुद बताया है कि सरकार के इस प्लान से आग तो कंट्रोल होगी ही, साथ ही लोगों की जेब भी भर सकती है।

दरअसल, राज्य सरकार का मानना है कि जंगलो में लगने वाली आग की एक बड़ी वजह तो पिरूल ही हैं। बता दें कि चीड़ के पेड़ के पत्तों को पिरूल कहते हैं और अब आग लगने का कारण पता लगने के बाद अब राज्य सरकार ने जनता से ही इन पिरूल को खरीदने का प्लान बनाया है।

सीएम धामी ने खुद दी जानकारी

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस मुद्दे के संबंध में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट में लिखा कि जंगलों में आग लगने की घटनाओं का एक प्रमुख कारण पिरुल होता है। जिसके निस्तारण के लिए हम आमजन के साथ मिलकर अभियान चला रहे हैं। ‘पिरुल लाओ, पैसे पाओ’।

सीएम धामी ने कहा कि इस अभियान के तहत बड़ी संख्या में लोग पिरुल को इकट्ठा कर ₹ 50/किलो की दर से सरकार को बेच रहे हैं। जिसका व्यापक असर भी देखने को मिल रहा है। इस अभियान से वर्तमान में वनाग्नि की घटनाएं काफी कम हो गई हैं, साथ ही वन क्षेत्र के पास रहने वाले ग्रामीणों की आमदनी भी हो रही है।

केंद्र से नहीं रिलीज हुआ फंड

हालांकि, एक तरफ जहां सीएम धामी जंगलों की आग की रोकथाम को लेकर अपनी नई योजना के बारे में बता रहे हैं, तो दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान उनकी सरकार के प्रतिनिधि वकील ने केंद्र की ही बीजेपी सरकार की मुश्किलें बढ़ा दीं। उत्तराखंड सरकार ने कहा कि हमारे आधे कर्मचारी ड्यूटी पर थे, जो कि काफी समय तक चुनाव में लगे हुए थे।

इतना ही नहीं, राज्य की बीजेपी सरकार ने केंद्र सरकार द्वारा फंड न जारी होने की बात भी कही। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कहा कि हम केंद्र द्वारा फंड रिलीज होने का इंतजार कर रहे हैं।

क्यों नाराज हो गया है सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि सरकार केवल बहाना बना रही है। वहीं वन विभाग के अधिकारियों की चुनावी कार्यों में होने वाली ड्यूटी पर लगाए जाने को लेकर भी सवाल उठाए। हालांकि अब चुनाव संपन्न हो गए हैं। ऐसे में मुख्य सचिव ने इस संबंध में निर्देश दे दिया है, जिसके चलते हम अपना आदेश अब वापस ले रहे हैं।

बता दें कि जंगलों में आग लगने को लेकर राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने काफी फटकार लगाई और यह तक सवाल उठा दिए कि आखिर वन विभाग के कर्मचारियों को चुनावी कार्यों में क्यों लगाया गया।