उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर विवाद जारी है और मामला कोर्ट में है। हाल ही में सहारनपुर के देवबंद में उलेमाओं की बैठक हुई थी, जिसकी अध्यक्षता जमियत-उलेमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने किया था। बैठक के बाद उन्होंने कहा था कि देश के हालात अच्छे नहीं हैं और मुस्लिम जुल्म सह लेंगे लेकिन देश पर आंच नहीं आने देंगे। वहीं टीवी बहसों में भी ज्ञानवापी मुद्दा चर्चा का केंद्र बना हुआ है।
इसी क्रम में जमियत-उलेमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने समाचार चैनल आजतक को एक इंटरव्यू दिया। इस दौरान उनसे एक पत्रकार ने प्रश्न पूछा कि मुसलमानों के लिए काशी और मथुरा का मतलब क्या है? इसके जवाब में मौलाना मदनी ने कहा, “आप मुस्लिम की बात मत करिए, बस इतना ही कहना चाहूंगा। पब्लिक फोरम पर मंदिर मस्जिद के टूटने की बात मत करिए, हमें रोका गया है।”
वहीं पत्रकार ने पूछा कि किताबों में भी लिखा गया है कि औरंगजेब ने कितने मंदिरों को तोड़कर मस्जिदों का निर्माण करवाया है। इसके जवाब में मदनी ने कहा, “मैं भी ये कह सकता हूं कि औरंगजेब ने मंदिरों के लिए कितने कार्य किये। इस मुद्दे पर पब्लिक फोरम पर बात करने से मेरी संगठन ने मेरे ऊपर पाबन्दी लगाई है।लोगों तक हमारी बात पहुंचनी चाहिए और वह पहुंच रही है।”
वहीं मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि मैंने कोर्ट कमीशन की रिपोर्ट पढ़ी ही नहीं है और मैं इसीलिए इस बारे में कुछ नहीं बोलूंगा। मामला कोर्ट में विचाराधीन है और इसलिए मैं कुछ नहीं बोलूंगा। मेरे संगठन ने तय किया है कि हम इसपर कुछ नहीं बोलेंगे।
वहीं पिछले हफ्ते जमियत उलेमा हिन्द की जब बैठक हुई थी। तब मदनी भावुक हो गए थे और कहा था कि देश के लोगों को बांटने की साजिश हो रही है। इस दौरान उन्होंने भावुकता के साथ कहा था कि देश के मुसलमान जुल्म सह लेंगे, लेकिन देश पर आंच नहीं आने देंगे। उन्होंने कहा था कि अखंड भारत की बात हो रही है, लेकिन आज स्थिति ऐसी हो गई है कि मुसलमानों का अपने ही मोहल्ले में चलना मुश्किल हो गया है।