काशी कॉरिडोर के बाद अब योगी सरकार की नजरें विंध्य कॉरिडोर पर हैं। कहा जा रहा है कि साल 2024 से पहले इस कॉरिडोर का अधिकतर काम पूरा हो सकता है। वहीं, इसको लेकर स्थानीय लोगों में असंतोष भी नजर आ रहा है। लोगों का कहना है कि दुकान टूट गई, रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है।

योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट विंध्य कॉरिडोर के काम की शुरुआत हो गई है लेकिन जिन्होंने इस कॉरिडोर के लिए जमीनें दी हैं, उनका कहना कुछ अलग ही है। मिर्जापुर में स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार कॉरिडोर को लेकर कोई खुलासा नहीं कर रही है तो आगे क्या कहा जाए। सूर्य प्रसाद मिश्रा ने ‘यूपी तक’ से बात करते हुए कहा, “हम लोग का मकान चला गया, दुकान चली गई, किराएदार चले गए, सरकार उन लोगों को कैसे बसाना चाहती है, क्या रोजगार देना चाहती है?”

वे कहते हैं कि सरकार ने जमीनें तो ले लीं लेकिन जो सैकड़ों सालों से बसे थे और अपने परिवार का जीविकोपार्जन कर रहे थे, उनका क्या होगा। उनके परिवार का क्या होगा, उनके बाल-बच्चों का भविष्य क्या होगा। सूर्य प्रसाद मिश्रा का कहना है कि हजारों की संख्या में ऐसे परिवार हैं जो प्रभावित होंगे। इसी तरह, ब्रह्म मणि मिश्रा कहते हैं कि कॉरिडोर से उनको खास लाभ मिलता नहीं दिखाई दे रहा है।

उन्होंने कहा, “मुआवजे की जो बात सरकार कर रही है, वो दिए नहीं हैं केवल उसका नाम हुआ है। मुआवजे को लेकर भी असंतोष हैं और साथ ही साथ मकान मालिक बेघर हो गए, इन सब बातों से भी असंतोष है। सरकार इन सारी चीजों को लेकर कुछ बता नहीं रही है।” इसी तरह, संजय कहते हैं कि नवरात्र में चार दिन बच गए हैं लेकिन अधूरे कामों के कारण यहां आने वाले लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

विंध्य कॉरिडोर के बारे में कहा जा रहा है कि चैत्र नवरात्र के बाद से यहां निर्माण रफ्तार पकड़ेगा क्योंकि नवरात्र में यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या लाखों में होती है। इसके पहले, गंगा से मंदिर तक जाने वाले एप्रोच रोड को समतल करने का काम किया जाएगा।