मेरठ और मुरादाबाद के बाद अब वाराणसी और गोरखपुर में भी सत्ता में आई बीजेपी की सरकार नगरपालिका में राष्ट्र गीत ‘वंदे मातरम’ को अनिवार्य करने जा रही है। नगरपालिका के सभी सदस्यों को अब किसी भी बैठक के शुरु होने से पहले वंदे मातरम गाना होगा। वहीं इस योजना के बाद विपक्ष इसका विरोध कर रहा है। कई मुस्लिम और गैर-मुस्लिम लोगों ने इसपर आपत्ति जताई है। बीजेपी के निगम सदस्य अजय गुप्ता ने प्रस्ताव रखा कि नगरपालिका की बैठक से पहले वंदे मातरम गाया जाना चाहिए। वहीं नगरपालिका में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी के सदस्य इससे नाखुश हैं। उनका कहना है कि बैठक से पहले वंदे मातरम गाना कोई परंपरा नहीं है।
बीजेपी के निगम सदस्य और मेयर राम गोपाल मोहलेय ने इस योजना को शुरु करते हुए वंदे मातरम गाया। उन्होंने कहा कि यह आदेश जारी किया जा चुका है कि सभी बैठकों से पहले वंदे मातरम गाया जाएगा और बैठक के खत्म होने के बाद राष्ट्र गान गाया जाएगा। जैसे ही इस योजना का प्रस्ताव सभा में रखा गया, वैसे ही समाजवादी पार्टी के निगम सदस्यों ने आरएसएस के विरोध में नारे लगाना शुरु कर दिया। मोहलेय ने कहा कि मैंने यह आदेश जारी किया है कि जिन बैठकों में मैं मौजूद रहूंगा उनमें राष्ट्र गीत जरूर गाया जाएगा।
इसी के साथ शनिवार को बैठक के दौरान गोरखपुर के मेयर सत्या पांडे ने वंदे मातरम गाने की घोषणा की तो कई एसपी निगम सदस्य और दर्जन भर मुस्लिम निगम सदस्य बैठक छोड़कर चले गए। पांडे ने कहा कि वंदे मातराम गाना कोई जुर्म नहीं है। उन्होंने कहा कि एसपी के कुछ ही नेता इस योजना का विरोध कर रहे हैं। इसके बाद पांडे ने कहा कि हम इसे चुनावों के साथ राष्ट्रवाद को जोड़ने की कोशिश नहीं कर रहे हैं। वहीं इस पर बात करते हुए एसपी के विजय जयसवाल ने कहा कि बीजेपी सिर्फ इसके जरिए केवल विवाद करना चाहती है। उन्होंने कहा कि वाराणसी और किसी भी नगरपालिका में ऐसी कोई परंपरा नहीं है कि राष्ट्र गीत गाया जाए।