अविनीश मिश्रा

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पुलिसर्किमयों की गोलियों के शिकार हुए विवेक तिवारी का रविवार (30 सितंबर, 2018) को यहां बैकुंठधाम में अंतिम संस्कार कर दिया गया। मामले में प्रदेश के कानून मंत्री बृजेश पाठक ने राजधानी लखनऊ में एक पुलिसकर्मी द्वारा कथित रूप से अंजाम दिए गए नितिन तिवारी हत्याकांड को लेकर अपनी ही सरकार की पुलिस की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि पुलिस के ऐसे अकल्पनीय घृणित कार्य की लोपापोती का प्रयास करने वाले अफसरों को कत्तई बख्शा नहीं जाएगा। कानून मंत्री ने, ‘विवेक तिवारी की हत्या ने हम सबको अंदर तक झकझोर दिया है। पुलिस ऐसा गंदा और घृणित कृत्य कर सकती है, मुझे उम्मीद नहीं थी।’ उन्होंने कहा, ‘जिस ढंग से इस हत्याकांड के बाद अधिकारियों ने सच्चाई छिपाई, उसकी एकमात्र चश्मदीद गवाह सना खान को 17 घंटे तक अपने कब्जे में रखा। सादे कागज पर हस्ताक्षर लिए। मुकदमा जिस तरह लिखा जाना चाहिए था, नहीं लिखा। सना के बयान और मुकदमे की इबारत में तालमेल नहीं है। पूरी तरह से केस की लीपापोती करने का प्रयास किया गया। हम जिम्मेदारी से कह रहे हैं कि हम इस मामले में किसी भी लीपापोती करने वाले अफसर को बिल्कुल नहीं बख्शेंगे।’

इसके अलावा हत्याकांड मामले में एक और नई एफआईआर दर्ज कराई गई है। इसमें दावा किया गया कि जो पुलिस अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे उन्होंने हत्याकांड की एक मात्र चश्मदीद गवाह सना खान को किसी को फोन करने या फोन उठाने की अनुमति नहीं दी थी। जबरन खाली कागज पर साइन कराने का आरोप भी लगाया। नई एफआईआर ने सना खान के हवाले से आगे लिखा गया, ‘मैं मदद के लिए खूब रोई, लोगों को रोकने की कोशिश की कि वो हमारे मदद करें। मैंने विवेक तिवारी को बचाने की पूरी कोशिश की। मगर पुलिसकर्मी ना तो मदद के लिए आए और ना ही उन्होंने किसी को फोन करने दिया। इसके बाद उन्होंने मुझपर खाली कागज पर साइन करने का दबाव बनाया। बाद में मीडिया और पुलिस के दबाव मुझे पेपर पर लिखने दिया।’

वहीं विवेक तिवारी पत्नी और उनके परिजनों ने बताया कि हत्या के बाद पुलिस दबाव बनाती रही। पिता विवेक तिवारी की हत्‍या के बाद उनकी बेटी प्रियांशी ने डीएम कौशलराज शर्मा और एसएसपी कलानिधि नैथानी पर मां कल्‍पना तिवारी से जबरन अंतिम संस्‍कार करने का दबाव बनाने और बदसलूकी करने का आरोप लगाया।