Ayodhya: राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मस्जिद निर्माण को लेकर बड़ा प्लान सामने आया था। अयोध्या के धन्नीपुर में मिली जमीन पर मस्जिद, अस्पताल और सामुदायिक रसोई का निर्माण किया जाना था। इसका नक्शा भी सामने आया था। हालांकि फंड की कमी के कारण इसका निर्माण शुरू नहीं हो पाया। अब पूरे प्रोजेक्ट का जिम्मा देख रहे ‘इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट’ फंड की कमी के कारण इसमें कई बदलाव किए हैं। फैसला लिया गया है कि ना सिर्फ नक्शे में बदलाव किया जाएगा बल्कि पूरे प्रोजेक्ट को कई चरणों में बनाया जाएगा।
ट्रस्ट के पास नहीं है फंड
बता दें कि मस्जिद निर्मामण को लेकर जो प्रोजेक्ट तैयार किया गया था उसमें पहले मस्जिद निर्माण के बजाए अस्पताल का निर्माण किया जाना था। हालांकि प्रोजेक्ट को एक साथ शुरू करने में कई परेशानियां सामने आ रही थी। अगर पूरे प्रोजेक्ट को एकसाथ शुरू किया जाता तो डेवलपमेंट चार्ज समेत करोड़ों रुपये बतौर शुल्क चुकाने पड़ेंगे। ट्रस्ट पहले ही फंड की कमी से जूछ रहा है। ऐसे में अब फैसला लिया गया है कि प्रोजेक्ट को कई चरणों में पूरा किया जाएगा। इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट के सचिव और प्रवक्ता अतहर हुसैन का कहना है कि धन की कमी की वजह से अभी हमने परियोजना को रोक रखा है। इस मुश्किल के बावजूद हम इस परियोजना को बंद नहीं करेंगे, बल्कि रणनीति में बदलाव करते हुए उसे छोटे-छोटे हिस्सों में बांटकर काम करेंगे।
दोबारा बनाया जाएगा मस्जिद का नक्शा
अतहर हुसैन ने कहा कहा कि अब हम अस्पताल के बजाय सबसे पहले नये सिरे से मस्जिद का नक्शा अयोध्या विकास प्राधिकरण में जमा करेंगे। मस्जिद के निर्माण में अपेक्षाकृत काफी कम धन खर्च होगा, जिसका इंतजाम करना आसान रहेगा। अतहर ने कहा कि हम पहले मस्जिद बनाएंगे, क्योंकि मस्जिद बहुत छोटी है और हर आदमी इस परियोजना को मस्जिद के नाम से ही जानता है। इसलिए ट्रस्ट अब मस्जिद के निर्माण को प्राथमिकता दे रहा है।
ट्रस्ट का कहना है कि 15 हजार वर्ग फीट में मस्जिद बनाने में 8 से 10 करोड़ रुपये खर्च होंगे। वहीं पूरा प्रोजेक्ट करीब 300 करोड़ रुपये का है। जहां मस्जिद बनाई जानी है वहां पहले से कई मस्जिद मौजूद हैं। ऐसे में फैसला लिया गया कि पहले चैरिटी अस्पताल और सामुदायिक रसोई बनाई जाए। हालांकि प्रोजेक्ट के लिए पैसे की कमी के चलते इसमें फिर बदलाव किए जा रहे हैं।
इनपुट – भाषा