केंद्रीय गृहमंत्री के बेटे पंकज सिंह को नोएडा से टिकट मिलने के बाद उप्र चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबले के बावजूद नोएडा सीट का महत्त्व बढ़ गया है। हालांकि 11 फरवरी को होने वाले चुनाव में नोएडा समेत गौतमबुद्ध नगर जिले की दो अन्य सीट, दादरी और जेवर में कितने प्रत्याशी वास्तविक मुकाबला करेंगे, शुक्रवार तक यह स्थिति स्पष्ट होगी। 27 जनवरी तक नाम वापस लेने का आखिरी दिन है। माकपा उम्मीदवार सहित 17 उम्मीदवारों के नामांकन रद्द जिला निर्वाचन कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक, अभी तक नोएडा विधानसभा से कुल 14, दादरी से 15 और जेवर से कुल 8 उम्मीदवार मैदान में हैं। नोएडा विधानसभा से पर्चा दाखिल करने वाले सर्वाधिक 17 उम्मीदवारों के नामांकन रद्द किए गए हैं। जिसमें माकपा के उम्मदीवार गंगेश्वर दत्त शर्मा का नाम भी शामिल है। जेवर से 6 और दादरी से 5 उम्मीदवारों के नामांकन रद्द हुए हैं। नोएडा सीट पर भाजपा, सपा- कांग्रेस गठबंधन, बसपा और रालोद के अलावा शिवसेना समेत 8 अन्य राजनीतिक दलों और 2 ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन किया है। निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने वालों में भाजपा नेता कैप्टन विकास गुप्ता भी हैं।
भाजपा में ही गुटबाजी चरम पर
पंकज सिंह पर बाहरी उम्मीदवार होने का आरोप लगाकर भाजपा में ही गुटबाजी चरम पर है। आलम यह है कि गौतमबुद्ध नगर सांसद डॉक्टर महेश शर्मा के अलावा कमोबेश अन्य नेता खुलकर साथ नहीं आ रहे हैं। हालांकि कुछ ही दिनों पहले भाजपा में दोबारा लौटे पूर्व सांसद और केंद्रीय मंत्री अशोक प्रधान का खेमा जरूर साथ खड़े होने का दावा कर रहा है। लेकिन अभी तक प्रचार में वह उनके साथ आगे नहीं आया है। सूत्रों के मुताबिक, यह गुट मौजूदा सांसद डॉक्टर महेश शर्मा का विरोधी रहा है। साथ ही उनके पास फिलहाल कोई जनाधार नहीं है। इसी तरह पूर्व मंत्री और नोएडा या दादरी सीट से टिकट की दावेदारी कर रहे नवाब सिंह नागर भी पंकज सिंह से अकेले में तो मिलने को तैयार हैं। लेकिन पंकज और डॉक्टर महेश शर्मा के साथ जन संपर्क में जाने से बच रहे हैं। नोएडा की मौजूदा विधायक विमला बाथम भी अंदरखाने टिकट काटे जाने से आहत हैं। वैश्य समुदाय से ताल्लुक रखने वाली विमला बाथम का टिकट कटने पर समाज के लोगों में भी रोष है। इसी कड़ी में वैश्य समुदाय के भाजपा नेता कैप्टन विकास गुप्ता ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में पर्चा भरा है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि मौजूदा हालात में पंकज सिंह की चुनावी वैतरणी पार कराने का पूरा दामोदार डॉक्टर महेश शर्मा पर है। यही वजह से है कि भाजपा में कद्दावर और केंद्रीय गृह मंत्री के बेटे को टिकट मिलने के बावजूद डॉक्टर महेश का विरोधी खेमा अभी पंकज सिंह का खुलकर समर्थन नहीं कर पा रहा है।
सपा ने भी आखिरी दौर में दिया उम्मीदवार को टिकट
भाजपा की तरह सपा में भी आखिरी दौर में टिकट सुनील चौधरी को मिला है। 2012 में हुए चुनाव में सुनील चौधरी नोएडा सीट पर तीसरे नंबर पर रहे थे। उन्हें करीब 42 हजार मत मिले थे। हालांकि, सपा ने पहले उप्र के मंत्री मदन चौहान के भाई अशोक चौहान को उम्मीदवार घोषित कर रखा था। करीब 3 महीने पहले नाम तय होने की वजह से अशोक ने जबरदस्त जन संपर्क कर मतदाताओं को जोड़ने का भी काम किया था। सूत्रों के मुताबिक, पंकज सिंह ने हजारों की संख्या में लोगों के पहचान पत्र भी बनवाने में मदद की थी। इतनी बड़ी संख्या में मतदाता पहचान पत्र बनवाने पर अब विरोधी दल सवाल भी उठा रहे हैं। अलबत्ता महज एक सप्ताह पहले उनका टिकट काटकर सुनील चौधरी को दिए जाने से अशोक चौहान के समर्थक नाराज बताए गए हैं। माना जा रहा है अशोक चौहान से जुड़े और समर्थन करने वाले प्रत्याशी बदले जाने से सपा से विमुख हो सकते हैं। सपा महानगर कमिटी के मौजूदा पदाधिकारियों में भी कई स्तरों की खेमेबंदी है। कमिटी के कई पूर्व पदाधिकारी सुनील के साथ जुड़कर प्रचार में लग गए हैं। हालांकि उप्र चुनाव में सपा का कांग्रेस के साथ गठबंधन हो चुका है। तब भी कांग्रेस के नेता सुनील चौधरी के प्रचार में साथ आने से हिचक रहे हैं।
प्रचार में आगे चल रही है बसपा
कई महीने पहले उम्मीदवार का नाम तय होने के बाद से ही बसपा के रविकांत मिश्रा ने जनसंपर्क शुरू कर दिया था। नसीमुद्दीन सिद्दिकी भी दो दिनों पहले रविकांत मिश्रा के समर्थन में एक जनसभा कर चुके हैं। बसपा से जुड़े मतदाताओं के अलावा रविकांत मिश्रा को ब्राह्मण समाज का भी काफी समर्थन मिल सकता है।