मीडिया में आई एक रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश पुलिस को दादरी के बिसहड़ा गांव के मोहम्मद अखलाक़ या उनके किसी परिजन द्वारा गोहत्या करने का कोई सुबूत नहीं मिला है। द हिन्दू में प्रकाशित रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि यूपी पुलिस सूरजपुर अदालत में क्लोज़र रिपोर्ट दायर कर सकती है। करीब तीन महीने पहले पुलिस ने मोहम्मद अखलाक़ और उनके परिजनों पर गोहत्या का मामला दर्ज किया था। मोहम्मद अखलाक़ को उनके गांव में 28 सितंबर 2015 को कुछ लोगों ने बीफ रखने और खाने की अफवाह के चलते पीट-पीट कर मार दिया था। घटना में उनका बेटा भी बुरी तरह घायल हो गया था। पुलिस सूत्रों ने अखबार को बताया कि यूपी पुलिस को दो महीने की जांच में अखलाक़ के परिवार के खिलाफ कोई सुबूत नहीं मिला है। इस साल जुलाई में पुलिस ने अखलाक़, उनके छोटे भाई जान मोहम्मद और उनकी बहू समेत परिवार के कुल छह लोगों के खिलाफ यूपी गोहत्या अधिनियम 1955 के तहत मामला दर्ज किया था।
पिछले साल एक लैब टेस्ट की फॉरेंसिक रिपोर्ट में सामने आया था कि अखलाक़ के घर में मिला मांस गाय या उसके वंश का नहीं था। लेकिन इस साल मई में मथुरा के लैब से आई दूसरी फोरेंसिक रिपोर्ट में कहा गया कि अखलाक़ के घर से जो मीट मिला था वो गाय या उसके वंश का था, जिसके बाद स्थानीय अदालत ने अखलाक़ एवं उनके परिवार के खिलाफ गोहत्या कानून के तहत मामला दर्ज करने का आदेश दिया था। दूसरी रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए अखलाक़ के बेटे सरताज ने कहा था कि दोबारा लैब में भेजे जाने से पहले मीट का सैंपल बदल दिया गया था। अखलाक के बेटे की अपील पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गोहत्या मामले में उनके परिवार के सदस्यों की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी। हालांकि हाई कोर्ट ने अखलाक़ के भाई जान मोहम्मद को राहत देने से इनकार कर दिया था जो गोहत्या के आरोप में जेल में हैं। उत्तर प्रदेश में गोहत्या पर प्रतिबंध है और इस कानून को तोड़ने वाले को दो साल तक की सजा हो सकती है।
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अखलाक़ की हत्या में पुलिस ने 18 लोगों को आरोपी बनाया है। इस मामले में अदालत में अगली सुनवाई 30 अक्टूबर को होनी है। उस दिन अदालत सभी आरोपियों का अपराध सुनिश्चित करेगी। अखलाक के मारे जाने के बाद से परिवार ने बिसाहड़ा गांव छोड़ दिया था। परिवार वर्तमान में दिल्ली में बड़े बेटे के पास रहता है। अखलाक का बड़ा बेटा एयरफोर्स में है।
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