उप्र की गगनचुंबी इमारतों वाला आधुनिक शहर नोएडा आग बुझाने के परंपरागत संसाधनों को भरोसे है। उत्तर भारत की सबसे ऊंची 300 मीटर की रिहायशी इमारत यहां बन रही है। सेक्टर-1 में 118 मीटर ऊंची संस्थागत इमारत में सैकड़ों लोग काम कर रहे हैं, जबकि सेक्टर-18 में तैयार हो चुकी 140 मीटर ऊंची एक और इमारत का ढांचा तैयार खड़ा है। इस शहर में इतनी ऊंची इमारतों में आग लगने के बाद बुझाने का प्रबंध बिल्डरों या वहां की निगरानी एजेंसियों के भरोसे है, क्योंकि नोएडा अग्निशमन विभाग के पास 300 मीटर ऊंची इमारत में आग लगने पर सबसे ज्यादा केवल 42 मीटर ऊंचा हाइड्रोलिक प्लेटफार्म है। इसी के सहारे कैसे 150 से 300 मीटर ऊंची इमारतों में आग बुझाकर फंसे लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला जा सकेगा?

करीब दो साल पहले नोएडा के अग्निशमन विभाग ने ऊंची इमारतों में आग बुझाने के लिए हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल करने का प्रस्ताव तैयार किया था। चूंकि नोएडा, ग्रेटर नोएडा में प्रस्ताव के मंजूर होने के बाद प्राधिकरण स्तर पर रकम की व्यवस्था की जानी थी। इसलिए माना जा रहा था कि आग बुझाने वाले हेलीकॉप्टर का प्रस्ताव जल्द ही जमीनी हकीकत पर उतरेगा। अलबत्ता ऊंची इमारतों के बीच कम दूरी होने पर आग बुझाने में हेलीकॉप्टर की सार्थकता पर प्रश्नचिन्ह लगने से प्रस्ताव को उप्र अग्निशमन विभाग से ही मंजूरी नहीं मिली। उसके बाद अग्निशमन विभाग ने नोएडा-ग्रेटर नोएडा की ऊंची इमारतों में आग बुझाने के लिए 72 मीटर ऊंचे हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म मांगे थे। इसकी एवज में 42 मीटर और 32 मीटर ऊंचे हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म नोएडा प्राधिकरण ने खरीदकर उपलब्ध कराए हैं। इनका अभी तक आग बुझाने में इस्तेमाल किया जा रहा है। नोएडा में 255 मीटर ऊंची बिल्डिंग, सेक्टर- 1 में 118 मीटर ऊंची एक इमारत, सेक्टर- 94 में 300 मीटर ऊंची एक अन्य इमारत समेत 100 मीटर से ऊंची एक दर्जन से ज्यादा इमारतें मौजूद हैं।

2017 में आग लगने से छह की मौत हुई थी

1976 में बने औद्योगिक महानगर नोएडा में 19 अप्रैल 2017 को सेक्टर- 11 स्थित सीएलएफ बनाने वाली फैक्टरी एक्सल ग्रीन में लगी आग में 6 लोगों की मौत हो गई थी। आग बुझाने में दिल्ली-एनसीआर की दर्जनों दमकल गाड़ियां लगी थी। तब 36 घंटे बाद आग बुझ सकी। बाद में हुई पड़ताल में फैक्टरी के पास अग्निशमन संबंधी अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं होने की बात कहकर प्रशासनिक अफसरों ने अपना बचाव करने की कोशिश की थी।

फिर आग का सिलसिला शुरू

-फेज-2 औद्योगिक इलाके की एक रसायन कंपनी में कुछ दिनों पहले भयंकर आग लग गई थी। जिसे बुझाने के लिए फोमयुक्त दमकल गाड़ियों का बंदोबस्त करने में पसीने छूट गए थे।
दो दिन पहले सेक्टर- 63 में एसबीआइ की इमारत में आग लगने से लाखों की संख्या में दस्तावेज जलकर खाक हो गए। आग बुझाने पहुंचे दमकल कर्मियों ने जैसे- तैसे आग बुझाई।

क्या मांग की है अग्निशमन मुख्यालय ने

हाल में बढ़ती आग लगने की घटनाओं और ऊंची इमारतों के मद्देनजर अग्निशमन मुख्यालय से अत्याधुनिक उपकरण उपलब्ध कराने की मांग की है।

विदेशों में इस्तेमाल हो रहे फायर फाइटिंग ड्रोन, धमाका रहित आग बुझाने वाला रोबोट (एक्सप्लोजन प्रूफ फायर फाइटिंग रोबोट), धुआं खींचने वाली मशीन (स्मोक एक्सट्रैक्टर) और 72 मीटर ऊंचे हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म मांगे हैं।

नोएडा के घनी आबादी वाले गांवों की संकरी गलियों में लगी आग बुझाने के लिए आग बुझाने के उपकरण युक्त बुलेट मोटर साइकिलें उपलब्ध कराने को कहा है। ये मोटर साइकिलें संकरी और छोटी गलियों में पहुंचकर आग बुझाने में उप्र के मेरठ, बरेली, बनारस आदि शहरों में बेहद कारगर साबित हुई हैं।

ऊंची इमारतों के लिहाज से संसाधनों की कमी से विभाग जूझ रहा है। अलबत्ता ऊंची इमारतों के नक्शों की मंजूरी और अनापत्ति प्रमाण पत्र अंद्रूनी (इन हाउस) उपकरणों और संसाधनों के मानक अनुरूप होने पर ही जारी किए जा रहे हैं।
-एके सिंह, मुख्य अग्शिनमशन अधिकारी, गौतमबुद्ध नगर

गौतम बुद्ध नगर में 9 दमकल केंद्र हैं। इसके अलावा दो अस्थायी दमकल केंद्र भी बनाए गए हैं। नए दमकल स्टेशन बनाने के बजाए पुलिस चौकी की तर्ज पर विभाग की अग्निशमन उपकेंद्र बनाने की योजना है। जहां पर एक या दो दमकल की गाड़ियां और कुछ दमकल कर्मी हर समय तैनात रहेंगे।
– अमन शर्मा, उप निदेशक अग्निशमन, मेरठ मंडल