नए नोट नहीं आने से नोटबंदी का असर बैंकों और एटीएम पर दिखाई देना शुरू हो गया है। बुधवार को शहर के 80 फीसद बैंक शाखाओं में नए नोट खत्म हो गए थे। बैंक खुलने से पहले जो लोग सुबह से लाइन में लगे थे, उन्हें बैंक अधिकारियों ने रुपए नहीं होने की बात बताकर लौटाया। कुछ बैंकों में करीब दो घंटे तक नोट बदले गए। उसके बाद वहां भी नोट खत्म होने का नोटिस लगा दिया गया। एटीएम बूथों के बाहर भी आउट आॅफ सर्विस या कैश खत्म का नोटिस चस्पा था। बैंक मैनेजरों के पास भी नोट खत्म होने और कब तक नए नोट आएंगे? इसका जवाब तक नहीं था। हालांकि मंगलवार से ही ज्यादातर बैंकों ने केवल उसी शाखा के खाताधारकों की नकदी जमा कराए जाने का फरमान जारी कर दिया था। नोट बदलवाने आने वालों को राहत नहीं मिली।

जानकारों के मुताबिक, नए नोट नहीं पहुंचने का सिलसिला पिछले 4 दिनों से जारी है। शुक्रवार से बुधवार तक महज एक दिन सोमवार को ही कुछ बैंकों में नए नोट पहुंचे थे। जिसके सहारे सोमवार, मंगलवार तक का समय कटा। बुधवार को बची-खुची रकम बांटने के बाद करंसी पूरी तरह से खत्म हो गई। दूसरी तरफ करंसी का संकट बढ़ने के कारण ज्यादातर शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों ने घर लौटने की तैयारी शुरू कर दी है। नोटबंदी का असर छोटे कारोबारियों, फुटकर दुकानदारों और उद्यमियों पर भी दिखाई देना शुरू हो गया है।

नोटबंदी से पैदा हुए हालात को लेकर बुधवार को शहर के उद्यमियों की नोएडा एंटर प्रिन्योर्स असोसिएशन (एनईए) हाउस में बैठक हुई। बैठक के उपरांत उद्यमियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम एक पत्र भी भेजा। एनईए अध्यक्ष विपिन मल्हन ने बताया कि शहर के करीब 6500 उद्योग नोटबंदी के कारण बंदी के कगार पर पहुंच गए हैं। कच्चे माल, भाड़े से लेकर कर्मचारियों की तन्ख्वाह तक की रकम बैंकों से निकाल पाना संभव नहीं है। करीब 7 लाख श्रमिक उद्योगों में काम करते हैं। उन्होंने काले धन पर अंकुश लगाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 500 और 1 हजार रुपए के नोटबंदी के फैसले का समर्थन करते हुए उद्यमियों के हित में कुछ राहत देने की मांग की है। जिसमें चालू खाते से 50 हजार की जगह 1 लाख रुपए प्रति सप्ताह बैंकों से निकाले जाने की मांग की है। साथ ही बैंकों से ऋण लेकर उद्योग चलाने वाले उद्यमियों को स्थिति सामान्य होने तक ब्याज दर में छूट देने को जरूरी बताया है।