उत्तर प्रदेश के बहराइच में एक दंपत्ति को उनके चार वर्षीय बच्चे को कथित तौर पर नहीं दफनाने देने के आरोप में पुलिस ने यहां एक मौलाना के खिलाफ केस दर्ज किया है। मामले में मौलाना को हिरासत में लिया गया है जबकि पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि कहीं मौलाना ने तीन साल पहले दंपत्ति के तीन तलाक के बाद निकाह-हलाला की रस्में नहीं पूरी करने के कारण ऐसा किया था। यहां बता दें कि इस्लामिक कानून के मुताबिक एक व्यक्ति अपने पत्नी को तलाक देने के बाद उसके साथ दोबारा तभी रह सकता है जब उसकी पत्नी किसी दूसरे शख्स से निकाह करे, इसके बाद उससे तलाक ले और एक तय समय पूरा करने बाद दोबारा अपने पहले पति के साथ रह सकती है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों दिए अपने फैसले में तीन तलाक को गैर कानूनी घोषित कर दिया है।
फतेहउल्लापुर गांव के प्रमुख अब्दुल खान ने बताया कि छह अक्टूबर को कुत्ते के काटने की वजह से खुशबुद्दीन और उनकी पत्नी के बेटे की मौत हो गई। अब्दुल खान के मुताबिक, ‘बेटे के मृत्यु के बाद खुशबुद्दीन शव को दफनाने के लिए गांव के कब्रिस्तान में लेकर पहुंचे। मगर मौलाना इसरार खान ने इसपर एतराज जताया। उन्होंने दावा किया जिस विशेष स्थान पर शव को दफनाया जा रहा है उसे वो खरीद चुके हैं। मामले में जब विवाद खासा बढ़ गया तब स्थानीय निवासी घटनास्थल पर पहुंचे और शव को दफना देने की अपील की।’ वहीं गांव के प्रधान अब्दुल खान का दावा है कि मौलाना इसरार ने पति-पत्नी से निकाह-हलाला की रस्म निभाने को नहीं कहा था।
अब्दुल खान ने बताया कि करीब तीन साल पहले गोंडा में काम रहे खुशबुद्दीन ने पत्नी को फोन पर तीन तलाक दे दिया। पत्नी इस वक्त गांव में ही थी। घटना के तीन महीने बाद खुशबुद्दीन गांव में वापस लौटा और पत्नी के साथ रहने लगा। किसी ने इस बात का विरोध नहीं किया और ना ही किसी ने खुशबुद्दीन की पत्नी को निकाह-हलाला की रस्म निभाने को कहा। मौलाना इसरार खान पर जो आरोप लगे हैं वो झूठे हैं और पूरी तरह बेबुनियाद हैं।
दूसरी तरफ पुलिस का कहना है कि खुशबुद्दीन ने आईपीसी की धारा 297 के तहत शिकायत दर्ज कराई है। स्टेशन हाउस ऑफिसर के मुताबिक, ‘मौलाना पर लगे आरोपों की जांच कर रहे हैं। सबूतों के आधार पर अन्य धाराएं आरोपी के खिलाफ दर्ज की जाएंगी।’