आदिपुरुष में राम, सीता और हनुमान जी को गलत तरीके से दिखाने के मामले में चल रही सुनवाई के दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तीखी टिप्पणी की है। जस्टिस का कहना था कि हिंदू सहिष्णु हैं इसलिए चुप हैं। एक बार कुरान के बारे में गलत शलत डाक्यूमेंट्री बनाकर तो देखो, अंजाम का पता चल जाएगा। हाईकोर्ट ने अपने पक्ष को साफ करते हुए कहा कि ये रामायण का मसला है। लेकिन अदालत के लिए सभी धर्म एक जैसे हैं।
जस्टिस राजेश सिंह चौहान और जस्टिस श्रीप्रकाश सिंह का कहना था कि किसी भी धर्म को गलत तरीके से दिखाना गलत है। बात चाहे हिंदू, मुस्लिमों की हो या फिर ईसाई समुदाय की। हमें सभी का सम्मान करना चाहिए। किसी भी धर्म से जुड़ी चीजों को गलत तरीके नहीं दिखाया जाना चाहिए। उनका कहना था कि अदालत का अपना कोई धर्म नहीं होता। हमारा काम ये देखना है कि लॉ एंड आर्डर तो नहीं बिगड़ने जा रहा है।
पहली बार नहीं हुआ हिंदू देवी देवताओं का अपमान
अदालत का कहना था कि ये कोई पहली बार नहीं है जब हिंदू देवी देवताओं को गलत तरीके से दिखाया गया। आमिर खान की PK का नाम लिए बगैर जस्टिस ने कहा कि एक फिल्म में भगवान शंकर को त्रिशूल लेकर भागते हुए दिखाया गया था। ऐसा कई बार हो चुका है। आदिपुरुष तो इसकी बानगी भर है। कोर्ट ने कहा कि अगर हम अपना मुंह बंद रखते हैं तो फिर देखिए आगे क्या हो सकता है। फिल्म मेकर पैसा बनाने के लिए कुछ भी दिखाने को तैयार हो जाते हैं। अदालत ने कहा कि उसने आदिपुरुष मामले में कोई आदेश जारी नहीं किया है। जो भी कहा गया वो केवल मौखिक है।
कोर्ट ने पूछा- क्या चल रहा था आदिपुरुष के मेकर्स के दिमाग में
हाईकोर्ट ने डिप्टी एडवोकेट जनरल बीएस पांडेय से पूछा कि CBFC ने आखिर फिल्म को पास कैसे कर दिया। पांडेय का कहना था था कि बोर्ड में बैठे लोग सेंसिबल हैं। उन्होंने देख सोचकर ही ये फैसला लिया होगा। जस्टिस ने मजाकिया लहजे में कहा कि आप कहते हैं कि संस्कारी लोगों ने फिल्म को पास किया है। जिन लोगों ने रामायण के बारे में ऐसा फैसला लिया है वो वाकई धन्य हैं। कोर्ट ने आदिपुरुष के मेकर्स पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि आखिर उनके दिमाग में क्या चल रहा था जो उन्होंने रामायण को इस तरह से दिखाया।