विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में यूपी में बच्चों की सेहत को लेकर चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक वहां 44 फीसदी बच्चे कुपोषण की मार झेल रहे हैं। इन बच्चों का न तो अपनी उम्र के मुताबिक मानसिक विकास हो पा रहा और न ही शारीरिक वृद्धि हो पा रही है। बताया जा रहा है कि वजन दिवस के मौके पर यूपी के पांच ब्लॉकों में बच्चों का वजन किया गया जिसमें 44 फीसदी बच्चे मानक पर खरे नहीं उतर पाए।
बता दें कि कुपोषण के यह आंकड़े पिछले साल के मुताबिक 20 फीसदी अधिक हैं। वहीं यह रिपोर्ट सामने आने के बाद यूपी सरकार द्वारा बच्चों के विकास के लिए चलाई गई उन सभी योजनाओं की भी पोल खुल गई है जिन्हें लेकर सरकार ने बड़े—बड़े दावे किए। रिपोर्ट के मानें तो इन बच्चों के कुपोषण का शिकार होने के पीछे भरपेट भोजन न मिलना और आस—पास साफ—सफाई नहीं होना बताया जा रहा है।
गौरतलब है कि शनिवार को एक अभियान के अतंर्गत डब्लूएचओ ने राजधानी के पांच ब्लॉकों के आंगनबाड़ी केंद्रों पर 1,33,363 बच्चों का वजन किया। इन पांच ब्लॉकों में चिनहट, मोहनलालगंज और सरोजिनी नगर जैसे क्षेत्र शामिल रहे। इसके बाद इस अभियान के अतंर्गत बच्चों को अलग—अलग श्रेणी में रखा गया। रिपोर्ट सामने आई तो पता चला कि 58 हजार बच्चे अति कुपोषित व कुपोषित हैं, जिन्हें लाल और पीली श्रेणी में रखा गया है।
सरकार द्वारा कुपोषण के शिकार बच्चों के लिए चलाए गए टीकाकरण अभियान से अभी भी काफी बच्चे वंचित हैं। बस्तियों में तो सरकार का यह अभियान पूरी तरह सफल साबित नहीं हो पा रहा है। डब्लूएचओ के मानकों के मुताबिक कुपोषित बच्चों को बेहतर खान—पान की आवश्यकता है। इन बच्चों को पोषित बनाने के लिए आवश्यक है कि इन्हें प्रोटीनयुक्त भोजन दिया जाए।

