फलों का राजा आम इस बार खास हो गया है। मौसम के बदले मिजाज और असमय आई आंधी और बारिश के कारण आम की पैदावार 60 फीसद तक घट गई है। लखनऊ से कुछ फासले पर उगने वाले मलिहाबादी दशहरी की पैदावार में आई बेतहाशा कमी ने फलपट्टी के किसानों की पेशानी पर बल पैदा कर दिया है। बागवानों का कहना है कि इस बार मलिहाबादी दशहरी बस कुछ ही दिनों का मेहमान है। फलों का राजा आम और आमों का सरताज दशहरी इस बार आम लोगों को मयस्सर होता नजर नहीं आ रहा है। आंधी, पानी और रोग ने अपने सीने में मिठास समेटे आम के इस सरताज की पैदावार को बहुत कम में समट दिया है। जिसकी वजह से आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र का आम नवाबों की सरजमीं पर अपनी नजाकत और नफासत बिखेर रहा है। आखिर इस बार दशहरी की पैदावार के बहुत कम होने की वजह क्या रही? आम उत्पादक कमीमुल्ला खान के मुताबिक कई दशकों के बाद मलिहाबाद और काकोरी इलाके में फैली दशहरी आम की बेल्ट में अधिकांश बागों में आम के फल नहीं आ सके हैं। इस वजह से आम के बागवानों के समक्ष भारी आर्थिक संकट खड़ा हो गया है।
मलिहाबाद इलाके में आम के अढ़तिया इरफान कहते हैं, नवाबों के शहर में दशहरी के आते ही हर बार आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र से आने वाली आम की आपूर्ति बन्द हो जाती थी, लेकिन इस बार आम से लदे रहने वाले अधिसंख्य पेड़ बिना फल के होने से दूसरे राज्यों से आम लखनऊ में जलवाफरोश हैं। अकेले मलिहाबाद और काकोरी का यह हाल नहीं है। उत्तर प्रदेश के 14 जिले ऐसे हैं जहां इस बार आम की पैदाबार एक चौथाई से भी कम हुई है। इस वजह से उत्तर प्रदेश में दशहरी, चौसा, लंगड़ा और सफेदा प्रजाति के आम की आपूर्ति होने की संभावना बेहद कम नजर आ रही है। काकोरी के आम उत्पादक कहते हैं कि खराब मौसम के कारण इस बार आम एक सप्ताह लेट है। इस वजह से विजयवाड़ा, हैदराबाद, वारंगल और करीमनगर से आम मंगाया जा रहा है, लेकिन इन इलाकों में भी आम का सीजन समाप्त होने वाला है। मलिहाबाद और काकोरी में आम का उत्पादन कम होने से इस बार देश के अधिकांश प्रदेशों के लोग दशहरी आम का स्वाद तसल्ली से नहीं ले सकेंगे। यानी इस बार पैदावार कम होने की वजह से दशहरी आम सिर्फ खास लोगों के लिए उपलब्ध होगा।