उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि लिंचिंग जैसी घटनाओं को बेवजह तूल दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि समाज के लिए गाय और आदमी दोनों जरूरी है और उनकी सरकार दोनों को सुरक्षा देगी। सीएम ने कहा कि आज मॉब लिंचिंग की बात करने वाले बताएं कि 1984 में क्या हुआ था। योगी ने कहा, “इन घटनाओं को बेवजह तूल दिया जा रहा है, आप मॉब लिंचिंग की बात करते हैं तो 1984 में क्या हुआ था, कानून व्यवस्था राज्य का मुद्दा है, तिल का ताड़ बनाने की कांग्रेस की मंशा सफल नहीं होगी।” सीएम ने कहा कि उनके शासन में सभी को सुरक्षा दी जाएगी। लेकिन यह हर व्यक्ति का फर्ज है कि वो हर धर्म का सम्मान करे। समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में उन्होंने कहा, “हर व्यक्ति को सुरक्षा दी जाएगी, लेकिन यह हर व्यक्ति का दायित्व है कि वे एक दूसरे की धार्मिक भावनाओं का आदर करें, इंसान महत्वपूर्ण हैं, गायें भी अहम हैं, प्रकृति में दोनों का रोल है, सभी की रक्षा की जानी चाहिए।”
These incidents are given unnecessary importance. If you talk about mob lynching, what was 1984? Law & order is a matter of state. Congress’ intention to make mountain out of a molehill won’t be successful: UP CM Yogi Adityanath on mob lynching incidents pic.twitter.com/4RdeEy4yns
— ANI UP (@ANINewsUP) July 25, 2018
We’ll provide protection to everyone, but it’s responsibility of every individual, every community & every religion to respect each other sentiments. Humans are important & cows are also important. Both have their own roles in nature. Everyone should be protected: Yogi Adityanath pic.twitter.com/s12OwaZxwc
— ANI UP (@ANINewsUP) July 25, 2018
बता दें कि राजस्थान के अलवर में गाय लेकर जा रहे मुस्लिम शख्स की हत्या के बाद कांग्रेस केन्द्र और राजस्थान सरकार पर हमलावर है। कांग्रेस ने कहा है देश में गायों को लेकर हंगामा किया जा रहा है, लेकिन इंसानों की मॉब लिंचिंग की जा रही है। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भीड़ द्वारा हिंसा की कड़ी निंदा की है। उन्होंने भी संसद में बयान देते हुए कहा था कि ऐसे हिंसा के दोषियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने को कहा गया है। राजनाथ सिंह ने लोकसभा में कांग्रेस को जवाब देते हुए यह भी कहा कि 1984 में देश में सबसे बड़ी लिंचिंग हुई थी। इधर केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय का मान रखते हुए हिंसा और मॉब लिंचिंग (भीड़ द्वारा हत्या) के मामलों के खिलाफ राज्य सरकारों को सोशल मीडिया सामग्री पर निगरानी रखने और जागरूकता अभियान शुरू करने के लिए प्रत्येक जिले में कम से कम पुलिस अधीक्षक की रैंक के नोडल अधिकारी को नियुक्त करने के लिए कहा है। केंद्रीय गृहमंत्री द्वारा जारी एडवाइजरी में राज्यों से ऐसे संभावित अपराधियों या नफरत भरे भाषण, झूठी खबरों और भड़काऊ भाषण देने वाले संदिग्ध व्यक्तियों के बारे में जानकारी जुटाने के लिए विशेष कार्य बल (एसटीएफ) गठित करने के लिए कहा गया है।
एडवाइजरी में तीन सप्ताह के अंदर ऐसे स्थानों को चिन्हित करने को कहा है जहां पिछले पांच साल में भीड़ द्वारा हिंसा या हत्या की घटना को अंजाम दिया गया है। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस संबंध 17 जुलाई को निर्देश जारी करने के बाद यह एडवाइजरी राज्यों और संघ शासित राज्यों को भेज दी गई है। एडवाइजरी में प्रमुख रूप से कहा गया है कि नोडल अधिकारी जिले में सतर्कता, भीड़ द्वारा हिंसा या हत्या की प्रवृतियों की संभावना को लेकर स्थानीय खुफिया इकाइयों के साथ नियमित बैठक करे और किसी भी समुदाय या जाति के खिलाफ प्रतिकूल माहौल को खत्म करने के प्रयासों के अलावा इसे प्रतिबंधित करने के लिए कदम उठाए। इस मुद्दे पर इस महीने यह दूसरी एडवाइजरी जारी की गई है।
(एजेंसी इनपुट्स के साथ)