उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों को आबंटित सरकारी बंगले खाली कराने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बचने का रास्ता निकालने के लिए सोमवार को विधानसभा में एक संशोधन विधेयक पेश किया, जिसमें मुख्यमंत्री समेत सभी मंत्रियों के वेतन भत्तों में बढ़ोतरी का भी प्रस्ताव है। विधानसभा में सोमवार को इस बाबत पेश प्रस्ताव में उत्तर प्रदेश मंत्री (वेतन, भत्ता और प्रर्कीर्ण उपबंध) (संशोधन) विधेयक, 2016 में पूर्व मुख्यमंत्रियों को उनके अनुरोध पर जीवनपर्यंत राज्य संपत्ति विभाग के तहत नियमानुसार मासिक किराए पर कोई सरकारी आवास आबंटित किए जाने का प्रावधान कर दिया गया है। मूल अधिनियम ‘उत्तर प्रदेश मंत्री (वेतन, भत्ता और प्रकीर्ण उपबंध) 1981’ में यह प्रावधान नहीं था।

इस संशोधन विधेयक के जरिए मुख्यमंत्री, मंत्रियों, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और राज्य मंत्री का वेतन प्रतिमाह 12 हजार रुपए से बढ़ाकर 40 हजार रुपए और उपमंत्री का वेतन 10 हजार से बढ़ाकर 35 हजार रुपए कर दिए जाने का प्रावधान है। मुख्यमंत्री और मंत्रियों को मिलने वाले अन्य भत्तों में भी बढ़ोतरी की व्यवस्था की गई है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राज्य संपत्ति विभाग द्वारा न्यासों, पत्रकारों व कतिपय अन्य श्रेणी के लोगों को हुए भवन आबंटन की वैधता को लेकर उठे सवालों के बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने ऐसे आबंटनों को विधिक रूप देने के उद्देश्य से एक अलग और विस्तृत अधिनियम बनाने के लिए भी सोमवार को विधानसभा में एक विधेयक पेश किया है।

विधानसभा में राज्य संपत्ति विभाग के नियंत्रणाधीन भवनों का आबंटन, 2016 शीर्षक से पेश विधेयक में पूर्व मुख्यमंत्रियों, राज्य सरकार के कर्मचारियों और अधिकारियों और अखिल भारतीय सेवा व न्यायिक सेवा के अधिकारियों, पत्रकारों समेत उन सभी अधिकारियों, संघों, न्यासों और राजनीतिक दलों को कतिपय शर्तों के साथ भवन देने की व्यवस्था है,  जिन्हें राज्य संपत्ति विभाग द्वारा कार्यकारी नियमों और अधिनियमों के उपबंधों के तहत अब तक भवन आबंटित किए जाते रहे हैं।

अब तक राज्य संपत्ति विभाग के भवनों के आवंटन के लिए कोई अलग कानून नहीं था और सोमवार का विधेयक उक्त आबंटनों को विनियमित करने के उद्देश्य से अलग अधिनियम बनाने के उद्देश्य को पूरा करने के लिए पेश किया गया है। विधेयक के प्रावधानों के अनुसार सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों को भवनों का आबंटन उनके लखनऊ में तैनाती की अवधि के लिए किया जाएगा और सेवानिवृत्ति अथवा स्थानांतरण की तिथि से 30 दिनों के भीतर भवन खाली करना पड़ेगा।

न्यासों को छोडकर अन्य श्रेणी के आवेदकों को भवन का आबंटन दो वर्ष के लिए किया जाएगा और उसके बाद राज्य सरकार की तरफ से उन आवंटनों को एक-एक साल करके आगे बढ़ाया जा सकेगा। जहां तक भवनों के किराए का सवाल है तो न्यासों और सोसाइटियों के मामले में यह बाजार दर पर लागू होगा जबकि पूर्व मुख्यमंत्री, सरकारी कर्मचारियों, अधिकारियों और पत्रकारों आदि को अब तक लागू दर पर ही रखा जाएगा। न्यासों को छोडकर अन्य श्रेणी के आवेदकों को भवन का आबंटन दो वर्ष के लिए किया जाएगा और उसके बाद राज्य सरकार की तरफ से उन आवंटनों को एक-एक साल करके आगे बढ़ाया जा सकेगा। जहां तक भवनों के किराए का सवाल है तो न्यासों और सोसाइटियों के मामले में यह बाजार दर पर लागू होगा जबकि पूर्व मुख्यमंत्री, सरकारी कर्मचारियों, अधिकारियों और पत्रकारों आदि को अब तक लागू दर पर ही रखा जाएगा।