पुराने नोट बदलने में विफल रहे तीन व्यक्तियों की कथित तौर पर सदमे से मौत हो गई।बाबू लाल (50) नागला मानसिंह इलाके में रहते हैं। उनका दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गयी। परिवार वालों का कहना है कि वह तीन दिन से बैंकों के चक्कर काट रहे थे लेकिन पुराने नोट नहीं बदल पाए। बाबू लाल की बेटी की 26 नवंबर को शादी तय थी। उन्होंने इसके लिए धन जमा किया था। नोटबंदी के फैसले के बाद से ही वह तनाव में रहते थे। शुक्रवार को बैंक से लौटने के बाद उन्होंने सीने में दर्द की शिकायत की। अस्पताल ले जाने पर डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। दूसरी घटना सिविल लाइंस थाने के जमालपुर इलाके की है, जहां मोहम्मद इदरीस (45) की भी शुक्रवार को दिल का दौरा पड़ने से बाकी मौत हो गई।
परिवार वालों ने बताया कि इदरीस का बैंक खाता नहीं था लेकिन चार दिन से वह एक स्थानीय बैंक के चक्कर इस उम्मीद में काट रहा था कि उसके पुराने नोट बदल जाएंगे। भारी भीड़ के कारण वह नोट बदल नहीं पाया। सपा के स्थानीय विधायक जमीर उल्लाह खान ने कहा कि दोनों ही मामलों में सदमे से मौत हुई है। उन्होंने मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने की मांग की। इस बीच हरदोई में शनिवार को नोट बदलने गए लाइन में लगे बुजुर्ग की मौत हो गई। अतरौली थानाध्यक्ष श्याम बाबू शुक्ल ने बताया कि कमता प्रसाद (75) पहले से ही अस्वस्थ चल रहे थे।
जानिए ATM और बैंकों के बाहर कतारों में खड़े लोग क्या सोचते हैं नोटबंदी के बारे में