उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव तब अजीब सी स्थिति में फंस गए जब कानपुर देहात के सरदापुर गांव में एक महिला और उसके दो वर्षीय बेटे ने अखिलेश संग मीटिंग में भाग नहीं लिया। पूर्व मुख्यमंत्री, खंजाची की मां सरवेशा, जिन्होंने नोटबंदी के दौरान बैंक की लाइन में खजांची को जन्म दिया था, को बेटे के दूसरे जन्मदिन पर दो पक्के मकान देने आए थे। हालांकि अखिलेश संग मीटिंग से एक दिन पहले सरवेशा ने मीडियाकर्मियों से कहा था कि वो अपने ससुराल सरदारपुर गांव नहीं जाएंगी। ससुराल के लोग उन्हें पीटेंगे। सरवेशा अभी अनांदपुर स्थित एक झोपड़ी में रहती हैं। यहां उनके परिजन भी साथ रहते हैं, जबकि कुछ साल पहले पति की मौत हो चुकी है।

बता दें कि कुछ महीने पहले आनंदपुर जाने के बाद से दोनों गांव खजांची पर अपना दावा ठोकने लगे और भविष्य में किसी विकास योजना का नाम भी उसी के नाम पर रखने का फैसला लिया गया। हालांकि इसपर सरवेशा का मत है कि अगर कोई उनकी मदद करना चाहता है या उनके बेटे, जिसका जन्म 2 दिसंबर, 2016 को हुआ, से मिलना चाहता है तो उसे उनकी मां के गांव आना होगा।

उधर सरवेशा के सरदारपुर गांव नहीं पहुंचने पर अखिलेश ने मीडियाकर्मियों से कहा, ‘हमें क्या पता दादी और नानी में ही झगड़ा है।’ हालांकि अखिलेश जब गांव पहुंचे तब खजांची की मां वहां मौजूद थीं। हालांकि अभी यह साफ नहीं हो पाया कि घर की चाबी उन्हें सौंप दी गई। वहीं सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने बताया, ‘अखिलेश जी ने सरवेशा को उनकी ससुराल और मां के गांव में दो कमरे वाले दो पक्के मकान गिफ्ट में दिए। यह उन्हें तय करना है कि वह कहां रहना चाहती हैं।’ खजांची को इससे पहले दो लाख रुपए की वित्तीय सहायता भी दी गई थी।

[bc_video video_id=”5973557424001″ account_id=”5798671092001″ player_id=”JZkm7IO4g3″ embed=”in-page” padding_top=”56%” autoplay=”” min_width=”0px” max_width=”640px” width=”100%” height=”100%”]

गौरतलब है कि नोटबंदी को विश्वासघात बताते हुए एसपी चीफ ने एक सार्वजनिक सभा में कहा, ‘भाजपा ने कहा था कि इस कदम से भ्रष्टाचार और काला धन खत्म हो जाएगा।’ उन्होंने कहा कि अगर हमारी सरकार पॉवर में आती है तो गरीबों को पांच लाख रुपए की कीमत के मकान दिए जाएंगे। महिलाओं को मोबाइल फोन के अलावा दो हजार रुपए प्रति माह पेंशन दी जाएगी।