उत्तर प्रदेश सरकार हज यात्रा पर जाने के इच्छुक लोगों के चयन में अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिये आवेदन प्रक्रिया को आधार कार्ड से जोड़ने पर विचार कर रही है। प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री मोहसिन रजा ने कहा, ‘‘हम हज के लिये आवेदन प्रक्रिया को आधार नंबर से जोड़ने पर विचार कर रहे हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि आवेदक इससे पहले हज कर चुका है या नहीं। इससे चयन प्रक्रिया में ज्यादा पारदर्शिता आयेगी।’’ उन्होंने कहा कि ठोस प्रणाली तैयार होते ही इस प्रक्रिया को लागू कर दिया जाएगा। हम अपने सरकारी तंत्र में पारदर्शिता तथा ईमानदारी लाना चाहते हैं। इससे सरकार ‘सबका साथ, सबका विकास’ के अपने मूलमंत्र पर अमल कर सकेगी।

भाजपा के एक अन्य नेता मजहर अब्बास ने भी रजा के नजरिये का समर्थन करते हुए कहा कि अगर हज आवेदन प्रक्रिया को आधार नंबर से जोड़ने से पारदर्शिता सुनिश्चित होती है तो ऐसा जरूर किया जाना चाहिये। गौरतलब है कि इससे पहले रजा ने शनिवार को उत्तर प्रदेश के धनी मुसलमानों से हज सब्सिडी छोड़ने की अपील की थी, ताकि गरीब मुस्लिम हज पर जा सकें। सब्सिडी छोड़ने की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि इससे गरीब और जरूरतमंदों को हज करने का मौका मिल सकेगा। हज यात्रा के लिए गरीबों को सब्सिडी मिलनी चाहिए ना कि संपन्न लोगों को। मैं धनी मुसलमानों से अपील करता हूं कि वे हज सब्सिडी छोड़ दें ताकि गरीब और जरूरतमंद हज पर जा सकें। संपन्न लोग तो एक से अधिक बार हज यात्रा कर आते हैं लेकिन गरीब अपने जीवन में एक बार भी हज पर जाने में मुश्किल महसूस करता है। केंद्र सरकार हज के लिए सब्सिडी देती है।

बिना आधार नहीं बन सकेगा डीएल!
अब ड्राइविंग लाइसेंस (डीएल) बनवाने के लिए या फिर डीएल को रीन्यू करने के लिए भी आधार कार्ड देना अनिवार्य किया जा सकता है। एक ही नाम से कई लाइसेंस बनाने पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार राज्यों से नई डीएल और पुराने डीएल के रीन्यूवल में आधार से पहचान अनिवार्य करने को कहेगा। सरकार को उम्मीद है कि इससे फर्जी डीएल बनाने के खेल को रोके जाने में मदद मिलेगी। आधार नंबर में मौजूद बॉयोमेट्रिक डिटेल्स के कारण इस तरह के मामले में रोका जा सकता है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक इस साल अक्टूबर से यह नियम लागू हो सकता है।