2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भाजपा के खिलाफ सपा-बसपा और कांग्रेस के लामबंद होने की संभावनाएं बढ़ गई हैं। ऐसे में इन दलों के टिकट दावेदारों ने भी सक्रियता बढ़ा दी है। दावेदार इस बात पर गुणा-भाग करने लगे हैं कि कौन सी सीट किसके खाते में जा सकती है? उसी के अनुरूप दावेदारों की लिस्ट बढ़ती जा रही है। यूपी की सियासत में कानपुर एक बड़ा क्षेत्र है। यहां से तीन लोकसभा सीटें जुड़ी हुई हैं। दावेदारों का मानना है कि गठबंधन के बाद कानपुर सीट कांग्रेस के खाते में जा सकती है जबकि अकबरपुर सीट बसपा के खाते में आने की उम्मीद है। ऐसे में बसपा के कई नेता अकबरपुर सीट से दावा ठोक रहे हैं। इसमें कुछ पूर्व विधायक भी शामिल हैं।
बता दें कि कानपुर जनपद में तीन लोकसभा सीटें हैं जिनमें एक कानपुर नगर, दूसरी अकबरपुर सीट का काफी हिस्सा और तीसरी मिश्रिख लोकसभा का आंशिक हिस्सा आता है। बसपा के पूर्व विधायक आरपी कुशवाहा ने अकबरपुर और बिल्हौर से विधायक रहे कमलेश दिवाकर ने मिश्रिख से दावा ठोका था लेकिन पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया। अब ये दोनों पूर्व विधायक दूसरे दलों में शामिल होने की कोशिश में लगे हैं। इसीलिए बहुजन समाज पार्टी में कानपुर सीट से अभी तक कोई दावेदार सामने नहीं आया है, क्योंकि यह सभी को पता है कि गठबंधन होने के बाद यह सीट बसपा के हिस्से में नहीं आने वाली है। ऐसे में पार्टी नेताओं ने मजबूती के साथ अकबरपुर और मिश्रिख सीट पर ही दावा ठोका है। बताते हैं कि दो पूर्व विधायक, विधानसभा चुनाव लड़ चुके तीन पूर्व प्रत्याशी टिकट मांग रहे हैं। जो भी दावेदार हैं वे पार्टी के जोनल कोआर्डिनेटरों को अपने पक्ष में करने में जुटे हुए हैं। कुछ ने तो पार्टी प्रमुख मायावती के खास नेताओं से नजदीकी बढ़ानी शुरू कर दी है।
इसी तरह कांग्रेस में भी कानपुर नगर के अलावा दोनों सीटों पर दावेदारों का प्रयास कमजोर है। हालांकि अकबरपुर से सांसद रहे राजाराम पाल अभी भी उम्मीद लगाए हुए हैं कि कानपुर देहात सीट गठबंधन के तहत कांग्रेस को मिल सकती है। तो वहीं समाजवादी पार्टी कानपुर की इन तीनों सीटों को छोड़ कन्नौज, इटावा पर ध्यान केंद्रित किये हुए है। बसपा के जोनल कोऑर्डिनेटर नौशाद अली ने बताया कि कानपुर नगर से अभी किसी ने दावेदारी नहीं की है पर जब तक गंठबंधन नहीं हो जाता, तब तक पार्टी सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने की रणनीति बना रही है।
सपा के नगर अध्यक्ष मोइन खान ने बताया कि पार्टी हाईकमान के निर्देश पर अभी संगठन को मजबूत करने का प्रयास किया जा रहा है, आगे जैसे निर्देश मिलेंगे उसी के अनुसार काम किया जाएगा। कांग्रेस के नगर अध्यक्ष हरप्रकाश अग्निहोत्री ने बताया कि अगर गठबंधन होता है तो कांग्रेस 2009 में जीती हुई सीटें कानपुर नगर और अकबरपुर में दावा जरूर ठोकेगी। बताते चलें कि पिछले लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी लहर के आगे मण्डल की पांच सीटों में कन्नौज को छोड़ सभी पर भाजपा का कब्जा हो गया था। कन्नौज में भी बड़ी मुश्किल से तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव जीत हासिल कर पायी थीं। यहीं नहीं विधानसभा चुनाव में भी इटावा की जसवंत नगर, कन्नौज सदर, कानपुर की आर्यनगर और कैंट को छोड़ सभी सीटों पर भगवा झण्डा फहरा था।
ऐसे में अगर कांग्रेस, सपा और बसपा का गठबंधन होता है तो सपा के अपने गढ़ यानी इटावा और कन्नौज तक ही सीमित रहने की संभावना है। तब बसपा के खातें में दो सीटें जा सकती हैं। इसके साथ ही कानपुर नगर सीट कांग्रेस के खाते में जा सकती है। इन्हीं संभावनाओं को देखते हुए तीनों पार्टियों के नेताओं ने दावेदारी के लिए अभी से गोटी बिछाना शुरू कर दिया है।
