गणतंत्र दिवस पर उत्तर प्रदेश के कासगंज में हुई साम्प्रदायिक हिंसा पर देशभर में बहस का दौर जारी है। इस बीच कासगंज हिंसा पर केंद्र ने राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी है। इधर, घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए बरेली के डीएम राघवेंद्र विक्रम सिंह ने भी रोष जाहिर किया और अपने फेसबुक पेज पर लिखा कि मुस्लिम मोहल्लों में जबरन जुलूस ले जाओ, पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाओ, ये रिवाज बन गया है। हालांकि, उनके इस पोस्ट पर विवाद बढ़ गया और उन्होंने इसे हटा लिया लेकिन इस बात की चर्चा जारी है कि नफरत की राजनीति कब तक चलती रहेगी? इसी मुद्दे पर न्यूज 18 इंडिया के कार्यक्रम आर-पार में मंगलवार (30 जनवरी ) को दो पैनलिस्ट आपस में भिड़ गए। गरीब नवाज़ फाउंडेशन के मौलाना अंसार रजा और वकील सैयद रिजवान अहमद के बीच शो के बीच में तीखी नोक-झोक हुई।

वकील रिजवान अहमद ने वंदे मातरम नहीं गाने पर मौलाना अंसार रजा को लताड़ लगाते हुए कहा कि तुम्हें बाघा बॉर्डर के पार भेज दिया जाना चाहिए। इस पर मौलाना अंसार रजा विफर पड़े। उन्होंने कहा कि तुम्हारी औकात नहीं है कि तुम मुझे बाघा बॉर्डर के पास भिजवा सको।इसके बाद काफी देर तक दोनों पैनलिस्टों के बीच तू-तू, मैं-मैं होता रहा। रिजवान ने भी पलटवार करते हुए कहा कि तुम्हारी औकात क्या है, ऐसा कहने की। उन्होंने कहा कि मौलाना माफी मांगे। मौलाना ने कहा कि बरेली के डीएम ने सही फरमाया है कि मुस्लिम मोहल्लों में जबरन तिरंगा यात्रा लेकर घुसने और वंदे मातरम कहवाने की वजह से भड़कती है हिंसा।

मौलाना ने भड़कते अंदाज में रिजवान अहमद को बीजेपी का जूता चाटने वाला एजेंट करार और जाहिल दिया। उन्होंने कहा कि ये जाहिल बीजेपी की चमचागिरी के लिए यहां बैठकर बहस करने चला आता है। इसे तमीज नहीं है। बता दें कि 26 जनवरी को एबीवीपी ने कासगंज में तिरंगा यात्रा निकाली थी लेकिन कुछ दूर आगे बढ़ने के बाद ही रास्ते के विवाद पर दो समुदायों के बीच हिंसा फैल गई थी। इसमें चंदन गुप्ता नाम के एक छात्र की हत्या कर दी गई थी। इस घटना को राज्य के गवर्नर राम नाईक ने उत्तर प्रदेश का कलंक बताया है और इसे शर्मनाक करार दिया है। राज्यपाल ने कहा कि राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार इस मामले की जांच करवा रही है और सख्त कदम उठा रही है। राज्यपाल ने भरोसा जताया कि राज्य में दोबारा इस तरह की घटना ना हो इसके लिए सरकार जरूरी कदम उठाए।