यूपी में जिला प्रशासन का एक फरमान हिंदूवादी संगठनों को चुभ गया है। हिंदू संगठनों ने प्रशासन पर हिंदुओं के साथ अपमानजनक व्यवहार करने का आरोप लगाया है। दरअसल जिला प्रशासन ने फैसला किया है कि नवरात्रि में प्रतिपदा के दिन स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय की भी पूजा की जाए। जबकि हिंदू महासभा जैसे संगठनों ने इस फैसले का विरोध करने का फैसला लिया है।
दरअसल अलीगढ़ जिला प्रशासन ने फैसला लिया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालय को हेय मानने की परंपरा चली आ रही है। इसे दूर करने के लिए नवरात्रि के नौ दिन हर गांव में नोडल अफसर भ्रमण करेंगे। अफसर ही सर्वश्रेष्ठ शौचालय का चुनाव करेंगे। अफसर इसके बाद सबसे अच्छे शौचालय का चुनाव करेंगे। लाभार्थी को 100 रुपये का पुरस्कार भी दिया जाएगा। कुल 902 ग्राम पंचायतों के 1000 गांवों के लिए प्रशासन ने नोडल ऑफिसर तैनात किए हैं।
हिंदू महासभा ने प्रशासन के इस फैसले का विरोध किया है। महासभा का मानना है कि टॉयलेट पूजा का आयोजन 26 जनवरी या फिर 2 अक्टूबर को रखा जा सकता है। ये एक सामाजिक काम है जबकि नवरात्रि देवी दुर्गा का पर्व है। इसे हिंदू समाज धार्मिक पर्व मानता है। इसीलिए धार्मिक मौकों से ना जोड़ा जाए।
मीडिया से बातचीत में हिंदू महासभा के अशोक पांडेय ने कहा कि प्रशासन अगर इसे पर्व के मौके पर ही आयोजित करना चाहता है तो वह इसे किसी अन्य धर्म के मौके पर आयोजित कर ले। हम उसमें पूरा सहयोग देंगे। प्रशासन को नवरात्रि के मौके का चुनाव सामाजिक कार्य के लिए नहीं करना चाहिए। इससे लोगों की भावनाएं आहत हो सकती हैं।
वहीं अलीगढ़ के मुख्य विकास अधिकारी दिनेश चंद्रा ने मीडिया से कहा, ”मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री ने शौचालय को ‘इज्जतघर’ के रूप में पहचान दी है। पूजा आयोजित करने के पीछे मकसद लोगों की मानसिकता में बदलाव लाना है। शौचालय को गर्व का विषय माना जाना चाहिए, इसे लेकर शर्म की भावना नहीं होनी चाहिए।