ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर चल रहा विवाद इस वक्त सुर्खियों में है। इसी मुद्दे को लेकर एक टीवी चैनल की डिबेट के दौरान महंत राजेंद्र तिवारी ने कहा कि साफ दिखाई दे रहा है कि हमारे बाबा यहां मौजूद हैं, उनके अवशेष हमें चिड़ाने के लिए छोड़े गए हैं। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म सबसे पुराना धर्म है। मुस्लिम धर्म उसके बाद आया है। आज तक सनातन धर्म के किसी भी व्यक्ति ने अल्पसंख्यक के साथ किसी भी बात को लेकर जोर जबरदस्ती नहीं की है और न उनके किसी धार्मिक स्थल पर किसी तरह का माहौल खराब किया है। उन्होंने कहा कि अभी ये पूरा मामला कोर्ट में है। इस पर कुछ भी कहना उचित नहीं होगा।
वहीं अन्नपूर्णा आश्रम के दंडी स्वामी ने कहा कि वास्तविकता को बदला नहीं जा सकता है। हिंदू हो या मुसलमान हो। यह धर्म विशेष की बात नहीं है। बात है अपने-अपने अधिकार की। बाबा का विग्रह वहां मिला। उन्होंने कहा कि आज भी वहां खुदाई हो तो मंदिर के पूरे अवशेष, मंदिर की पूरी नींव वहां मिलेगी।
एंकर ने बीच में टोकते हुए दंडी स्वामी से सवाल पूछा कि आप खुदाई करने की बात कर रहे हैं? इस पर दंडी स्वामी ने कहा कि हम खुदाई की बात नहीं कर रहे। मैं बात कर रहा हूं कि जो स्थिति है, जो चीजें वहां मिल रही हैं। अगर पूरी तरह से देखा जाए तो वहां मंदिर मिलेगा। उसकी नींव मिलेगी। एंकर ने पूछा कि काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत एक नया दावा कर रहे हैं कि जहां मुस्लिम समुदाय वजू करता है, उसको अगर खोदा जाए तो वहां एक और शिवलिंग मिलेगा। इसके जवाब में दंडी स्वामी ने कहा, ‘ऐसा हो नहीं सकता, ऐसा है, वहां शिवलिंग है, यह मैं दावे के साथ कह सकता हूं।
वहीं काशी विश्वनाथ मंदिर के ट्रस्टी ब्रजभूषण ओझा ने कहा कि बाबा का अस्तित्व पहले भी था और हमेशा रहा है। उन्होंने कहा पुराणों के अनुसार काशी में लगभग 550 लिंग होने चाहिए, लेकिन अभी केवल 350 लिंग बचे हैं। अगर वहां मस्जिद की खुदाई की जाए, जो बाबा का मूल स्थान है, तो वहां निश्चित शिवलिंग मिलेंगे। उन्होंने कहा कि जहां बाबा हैं, उसका इतिहास भी साक्ष्य है, पुराण भी साक्ष्य हैं, शास्त्र भी साक्ष्य हैं। वह यदि हमें पाना है तो इसके लिए हमें आवाज उठानी होगा। न्यायालय तक जाना होगा।
बता दें, ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर हिंदू और मुस्लिम पक्षों में विवाद की सुगबुगाहट 1991 से ही सुनाई देने लगी थी, जब काशी के कुछ पुजारियों ने मस्जिद परिसर में पूजा करने की इजाजत के लिए कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस घटना को 30 साल से ज्यादा का वक्त हो गया है। एक बार फिर से यह विवाद सुर्खियों में है। हिंदू पक्ष ने दावा किया कि मस्जिद परिसर में वजू करने वाले वाली जगह पर शिवलिंग मिला है, जबकि मुस्लिम पक्ष का कहना था कि वह शिवलिंग नहीं बल्कि एक फव्वारा है।