Gyanvapi Masjid Case: वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर (Gyanvapi Masjid) में एएसआई सर्वे को रोकने की मुस्लिम पक्ष की याचिका पर आज हाईकोर्ट में सुनवाई की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट एएसआई सर्वे पर 26 जुलाई शाम 5 बजे तक रोक लगा चुका है। जानकारी के मुताबिक चीफ जस्टिस की सिंगल बेंच आज शाम 5 बजे से पहले इस मामले में फैसला भी सुना सकते हैं। अगर आज हाईकोर्ट अपना फैसला नहीं सुनाता है तो सर्वे पर लगी रोक को आगे भी बढ़ाया जा सकता है। इससे पहले मंगलवार को इसी मामले से जुड़े सिविल वाद की एक याचिका पर सुनवाई की गई।
क्या खुदाई जरूर है – हाईकोर्ट
सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष की ओर से कहा गया है कि इस मामले में हिंदू पक्ष का रुख बिल्कुल स्पष्ट नहीं है। हाईकोर्ट की ओर से हिंदू पक्ष से पूछा गया कि क्या सर्वे के लिए परिसर में खुदाई जरूरी है। इस पर हिंदू पक्ष के वकील विष्णू शंकर जैन ने कहा कि हां, परिसर में खुदाई जरूरी है लेकिन हम मस्जिद के अंदर यह काम नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि केवल बंजर भूमि पर खुदाई करेंगे। अगर जरूरत पड़ी तो ही इसे अंतिम चरण में किया जाएगा। हाईकोर्ट की ओर से हिंदू पक्ष से यह भी पूछा गया कि जब आवेदन में बार-बार एएसआई का जिक्र है तो एएसआई को पक्षकार क्यों नहीं बनाया गया।
मुस्लिम पक्ष ने दी ये दलीलें
वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद के ASI सर्वे के खिलाफ मुस्लिम पक्ष की याचिका पर मुस्लिम पक्ष ने 7 दलील दी हैं। मुस्लिम पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी मस्जिद पिछले 1000 साल से भी ज्यादा समय से वहां पर मौजूद है और 1669 में वाराणसी में कोई मंदिर किसी बादशाह के आदेश से नहीं तोड़ा गया। इस मामले में मुस्लिम पक्ष की ओर से वरिष्ठ वकील नकवी पेश हुए हैं। उन्होंने कहा कि सर्वे के नाम पर जो रहा है वो ठीक नहीं हो रहा है। कोई कोर्ट की ओर से किसी और को सबूत जुटाने के लिए नहीं कह सकता। उनका कहना है कि हिंदू पक्ष ASI द्वारा जुटाए गए सबूतों के आधार पर सबूत पेश करेगा।
मुस्लिम पक्ष की ओर से दी गईं ये दलील
मुस्लिम पक्ष की ओर से हाईकोर्ट में दलील दी गई कि हिंदू पक्ष की ये कोरी कल्पना है कि पश्चिमी दीवार और मस्जिद के ढांचे के नीचे कुछ मौजूद है। सिर्फ इसी आधार पर ASI सर्वे की इजाजत नहीं दी जा सकती है। कोर्ट को ओर से नियुक्त एडवोकेट कमिश्नर के सर्वेक्षण के दौरान भी परिसर स्थित वजूखाना से मिली आकृति शिवलिंग नहीं बल्कि पानी का फव्वारा थी। मुस्लिम पक्ष ने कहा कि 1669 में वाराणसी में कोई मंदिर किसी बादशाह के आदेश से नहीं तोड़ा गया। यह मस्जिद 1000 साल से भी ज्यादा समय से वहां पर मौजूद है। याचिका में कहा गया कि राम जन्मभूमि के मामले में फैसले की परिस्थितियां अलग थीं। उस मामले का हवाला यहां नहीं दिया जा सकता है। जिला जज की कोर्ट से ज्ञानवापी परिसर का ASI से आधुनिक वैज्ञानिक और तकनीकी सर्वे का आदेश जारी किया जाना गैरकानूनी है।