Gyanvapi Survey Controversy: वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में एएसआई सर्वे को लेकर मुस्लिम पक्ष की ओर से दाखिल याचिका पर हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। हाईकोर्ट में मंगलवार को इस मामले से जुड़ी दो याचिकाओं पर सुनवाई हुई। इसमें एक याचिका जिला कोर्ट के एएसआई सर्वे को रोकने की मांग को लेकर और दूसरी सिविल वाद से जुड़ी थी। इस मामले में स्वयंभू आदि विशेश्वर नाथ मंदिर हिंदुओं की तरफ से पक्षकार हैं। हिंदू पक्ष की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील सीएस वैद्यनाथन ने पैरवी की।
28 जुलाई तक सर्वे पर रहेगी रोक?
सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल 26 जुलाई शाम 5 बजे तक ज्ञानवापी परिसर में एएसआई सर्वे पर रोक लगाई है। वहीं हाईकोर्ट अपना फैसला 28 जुलाई को सुनाएगा। हाईकोर्ट का फैसला आने से पहले एएसआई सर्वे दोबारा शुरू होने की उम्मीद कम है। मस्जिद की इंतजामिया कमेटी और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने हाईकोर्ट में वाराणसी कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी।
4 घंटे के सर्वे में क्या मिला?
बता दें कि एएसआई की 43 सर्वेयर की टीम सोमवार को सुबह 7 बजे ही ज्ञानवापी परिसर में पहुंच गई थी। टीम ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के बैरिकेड वाले क्षेत्र के कुछ हिस्सों को मापा, तस्वीरें खींची और वीडियो बनाया। टीम ने इस दौरान कुछ जगहों से मिट्टी के नमूने भी लिए। जानकारी के मुताबिक एएसआई ने पूरे परिसर की पैमाइश की। इसके अलावा सभी गतिविधियों की वीडियोग्राफी भी की गई। एएसआई के सर्वे में सभी पक्षों के वकील और पक्षकार भी मौजूद रहे। इस दौरान चार हिंदू पक्षकार रेखा पाठक, मंजू व्याास, सीता साहू और लक्ष्मी देवी के साथ उनके वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी और सुधीर त्रिपाठी मौजूद थे। इसके साथ ही शृंगार गौरी-ज्ञानवापी मामले में उत्तर प्रदेश सरकार के विशेष वकील राजेश मिश्रा भी मौजूद थे। उनके अलावा वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी भी मौके पर मौजूद रहे।
पिछले साल भी किया गया सर्वे
आपको बता दें कि ज्ञानवापी परिसर में पिछले साल 6-7 मई को वाराणसी जिला कोर्ट के आदेश के बाद कोर्ट कमिश्नर की देखरेख में सर्वे किया गया था। इस दौरान सर्वे में मस्जिद में हिंदू देवी-देवताओं की कलाकृतियां मिली थी। इसके अलावा कई ऐसे चिन्ह मिले हैं जो सनातन संस्कृति से जुड़े हैं। इसके अलावा एक कथित शिवलिंग मिला था। इसे मुस्लिम पक्ष फव्वारा बता रहा है। पिछले साल हुए सर्वे में सिर्फ मौके ही मौजूद स्थिति की जांच की गई थी। इसमें परिसर की फोटो और वीडियोग्राफी कराई गई थी। हालांकि उसे सर्वे में किसी भी तरह की साइंटिफिक जांच नहीं की गई थी।