उत्‍तर प्रदेश की योगी आदित्‍यनाथ सरकार ने आईएएस राजीव रौतेला को वापस उत्‍तराखंड कैडर भेज दिया है। गोरखपुर लोकसभा सीट पर 12 मार्च को उपचुनाव की मतगणना के दौरान रौतेला विवादों में घिर गए थे। इसके बाद 16 मार्च को शासन ने उनके साथ 36 अन्‍य आईएएस अधिकारियों को इधर-उधर कर दिया। गोरखपुर के जिलाधिकारी रहे राजीव रौतेला को पदोन्‍नति देते हुए देवीपाटन का नया मंडलायुक्त नियुक्त किया गया था। हालांकि उन्‍हें प्रोमोशन दिए जाने पर विपक्षी दलों की ओर से सवाल खड़े किए जाने के बाद उत्‍तराखंड कैडर में वापस भेजने का फैसला किया गया। रौतेला 9 नवंबर, 2000 को उत्‍तर प्रदेश में प्रतिनियुक्ति पर काम कर रहे थे।

गोरखपुर उपचुनाव की मतगणना के समय रौतेला ने पत्रकारों के मतगणना केंद्र में घुसने पर रोक लगा दी थी। बाद में चुनाव आयोग ने सफाई देते हुए कहा था कि चूंकि रौतेला खुद बाहर आकर मीडिया को रुझानों की जानकारी दे रहे हैं, इसलिए पत्रकारों को अंदर आने की जरूरत नहीं है।

राजीव रौतेला पहली बार विवादों में नहीं घिरे थे। 2013 में उनपर अलीगढ़ का डीएम रहते शहीदों का अपमान करने के आरोप लगे थे। उन्‍होंने कहा था कि ‘जवान शहीद होते हैं तो परिवार वाले विभिन्‍न मांगें रख देते हैं। शहीदों व सैनिकों के परिवारों ने बयान का बड़ा विरोध किया जिसके बाद रौतेला ने सफाई जारी की थी।

2017 में, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आईएएस राजीव रौतेला और राकेश कुमार को निलंबित करने का आदेश दिया था। दोनों पर आरोप था कि रामपुर का डीएम रहते हुए उन्‍होंने खनन को बढ़ावा दिया।

पिछले साल जब ऑक्‍सीजन की कमी के चलते गोरखपुर में बच्‍चों की मौत हुई तो रौतेला ही वहां के जिलाधिकारी थे। उन्‍होंने अपनी रिपोर्ट में फर्म को सप्‍लाई न करने का दोषी बताया जबकि फर्म ने इस बात से इनकार किया था। बतौर डीएम, राजीव ने फर्म द्वारा बकाया भुगतान को लेकर लिखे गए पत्र का संज्ञान नहीं लिया।