उत्तराखंड के देहरादून में स्थापित वन्य जीव संस्थान व बरेली के इंडियन वेटनरी इंस्टीट्यूट की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में इटावा मुख्यालय पर स्थापित किए जाने वाले सारस सरंक्षण केंद्र के निर्माण पर योगी सरकार ने रोक लगा दी है। यहां शोध को लेकर भी तमाम कार्यक्रम चलाए जाने थे। एक प्रशिक्षण केंद्र का भी सुझाव था, जिसके जरिये लोगों को वन्यजीवों की व्यापक जानकारी दी जानी थी। सारस संरक्षण केंद्र के लिए पूर्ववर्ती अखिलेश यादव सरकार में एक करोड़ रुपये जारी किए गए थे। वर्तमान सरकार ने काम शुरू करने पर रोक लगा दी है। अभी नए निर्देश प्राप्त नहीं हुए हैं।  इटावा केंद्र का मकसद वन्यजीवों के संरक्षण के साथ ही शोध कार्याे को बढ़ावा देना भी था। अभी प्रदेश में ऐसा कोई केंद्र नहीं है। इटावा सफारी पार्क के निर्माण के साथ ही इसकी उपयोगिता और बढ़ जाती। सारस संरक्षण केंद्र को इटावा सफारी पार्क के सामने करीब दो हेक्टेयर क्षेत्र में बनाया जाना था।

इसके लिए जमीन वन विभाग ने दी थी और कार्यदायी संस्था आवास विकास परिषद को एक करोड़ रुपये जारी हो गए थे। शुरुआत में इस परियोजना की लागत करीब 23 करोड़ रुपए रखी गई थी जिसे बाद में बढ़ाने का प्रस्ताव था। योजना के तहत सारस के साथ ही सफारी पार्क में आने वाले शेर, भालू, तेंदुआ व हिरण के संरक्षण पर भी शोध कार्य होना था। चंबल नदी के मगरमच्छ व घड़ियाल का भी संरक्षण प्रस्तावित था । मुख्यमंत्री के तौर पर अखिलेश यादव ने अपने गांव सैफई में सारस सरंक्षण की दिशा में पिछले साल तीन दिन की अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला दो से चार फरवरी तक कराई थी। इसके बाद ही इटावा मुख्यालय पर सारस संरक्षण केंद्र की स्थापना का खाका तैयार किया गया था।  सारस पक्षी ने दुनिया भर में इटावा जिले की पहचान बनाई हुई है। करीब पांच हजार सारस अकेले उत्तर प्रदेश में स्वच्छंद रूप से ताल तलैयों के किनारे देखे जाते रहे हैं। दुनिया में सबसे ऊंचा सारस किसानों का मित्र है।

अखिल भारतीय वन्य जीव संरक्षण व प्रशिक्षण केंद्र तकनीकी कारणों के कारण सारस संरक्षण केंद्र कर दिया गया था। इसके लिए पांच हेक्टेयर जमीन तय कर ली गई थी मगर विधानसभा चुनाव में सरकार बदल गई और नई सरकार ने इस महात्त्वाकांक्षी योजना को इटावा से हटा लिया। अभी सफारी के वन्य जीवों के बीमार पड़ने पर आइबीआरआइ बरेली में उनके रक्त की जांच कराई जाती है लेकिन इस केंद्र के बन जाने से बरेली जाने की जरूरत नहीं पड़ती। योजना तो यहां तक थी कि यह केंद्र बरेली से कई गुना बेहतर हो और उत्तर प्रदेश में अव्वल दर्जे का प्रशिक्षण केंद्र बने।

पर्यावरण मंत्रालय दे चुका था मंजूरी
इस केंद्र के निर्माण के लिए एक वर्ष पहले ही फाइलें दौड़ने लगी थीं। वन विभाग से जमीन मिलने की व्यवस्था सुनिश्चित होते ही इसके निर्माण के लिए केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय से भी मंजूरी मिल गई थी। इसके बाद कोई एनओसी मिलना शेष नहीं थी सिर्फ निर्माण कार्य चालू होना था।
अब लखनऊ में बनने की संभावनाएं
ऐसी संभावना है कि इटावा में बनने वाला यह केंद्र अब लखनऊ के कुकरैल पक्षी बिहार में बनाया जाएगा। हालांकि इस संबंध में अभी कोई निर्देश नहीं आए हैं लेकिन माना जा रहा है कि अब अखिलेश सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट लखनऊ चला जाएगा।
सारस केंद्र रोके जाने से खफा है सपाई
सारस सरंक्षण केंद्र के निर्माण पर रोक लगाए जाने से समाजवादी पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष राजीव यादव ने सवाल उठाया है कि अखिलेश सरकार का यह एक ऐसा प्रोजेक्ट था जिससे किसी को भी राजनैतिक लाभ नहीं हो रहा था लेकिन बदनीयती के आधार पर अखिलेश सरकार की परियोजनाओं पर रोक लगाना योगी सरकार की आदत बन गई है जबकि अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री रहते हुए सारस पक्षियों की घटती हुई संख्या को देखते हुए यह निर्णय लिया था क्योंकि इटावा और मैनपुरी मे बड़ी तादाद में सारस पक्षी रहे हैं।। इसके अलावा सारस उत्तर प्रदेश का राज्य पक्षी भी है ।