इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बुलंदशहर में पुलिस हिरासत में हुई मौत के मामले पर सख्त रुख अपनाते हुए अतिरिक्त मुख्य सचिव को निजी हलफनामा दायर करने को कहा है। जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्रा और जस्टिस रजनीश कुमार की बेंच ने कहा कि न्यायिक जांच में पाया गया है कि याचिकाकर्ता के बेटे की मौत पुलिस हिरासत में हुई और इसके लिए पुलिसकर्मी जिम्मेदार हैं।

दो जजों की बेंच ने कहा कि उस जांच रिपोर्ट से पता चलता है कि पीड़ित की मौत हिरासत में राज्य कर्मियों के हाथों हुई। कोर्ट ने कहा कि धारा 154 के तहत एक उपयुक्त रिपोर्ट दर्ज की जानी चाहिए थी और जांच आगे बढ़नी चाहिए थी। साथ ही साथ मुआवजे के भुगतान के दावे पर भी विचार किया जाना चाहिए था।

इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) को निजी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) को इस मामले में न्यायिक जांच की रिपोर्ट के मुताबिक, जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ उठाए गए कदमों के बारे में भी बताने को कहा है।

इस मामले में राज्य सरकार की तरफ से पेश हुए वकील ने हाई कोर्ट को बताया कि इस साल 18 जनवरी को एसीएस को रिपोर्ट मिली थी और इस संबंध में कोई और निर्देश प्राप्त नहीं हुआ था। इस पर कोर्ट ने कहा कि पुलिस हिरासत में मौत एक गंभीर मामला है, खासकर जब न्यायिक जांच में लगाए गए आरोप सही पाए गए और जब इसके लिए पुलिस जिम्मेदार पाई जाती है।

हिरासत में मौत के शिकार पीड़ित की मां ने सुरक्षा की मांग करते हुए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इस मामले में यह बताया गया था कि महिला के बेटे की मौत से पहले उसे यातनाएं दी गई थीं क्योंकि उसने अपनी मर्जी से तरजातीय विवाह किया था। साथ ही यह भी तर्क दिया गया कि इस मामले में अधिकारियों ने निष्पक्ष रुख नहीं अपनाया क्योंकि शव का पोस्टमार्टम किए बिना उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया था। हिरासत में हुई मौत को पुलिस आत्महत्या बता रही है।