यूपी के मदरसों में एनसीईआरटी की किताबों को पढ़ाए जाने की योजना से विवाद खड़ा हो गया है। सोमवार को उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने जानकारी दी थी की सूबे के मौलाना मदरसों में गणित और विज्ञान जैसे विषयों को पढ़ाने की योजना बना रहे हैं। इस खबर के बाद कई मौलानाओं ने इस पर आपत्ति जताई और बोला यह हमारी धार्मिक भावनाओं का आहत करता है। इस विषय को लेकर टाइम्स नाउ में एक डिबेट रखी गई जिसमें पहुंची बीजेपी नेता शाजिया इल्मी ने इन मौलानाओं को करारा जवाब दिया। शाजिया ने कहा पहले जब मैं इन मौलानाओं को सुनती थी तो मुझे लगता था कि ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर ये मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ हैं लेकिन अब मुझे इनकी बातें सुनकर लगने लगा है कि ये तो पूरे देश के मुसलमानों के खिलाफ हैं।

इसके बाद शाजिया ने कहा कि जब आप दीनी तालीम के साथ-साथ दुनियाबी तालीम गणित, विज्ञान को एक स्तर पर बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं तो यही चीजें विकास की बात करती हैं। मुझे लानत है ऐसे लोगों पर जो हमारे मुसलमान छोटे बच्चों को अच्छी शिक्षा प्राप्त करने से वंचित रखने की बात करते हैं। ऐसे लोग नहीं चाहते कि हमारे बच्चों को अच्छी तालीम मिले और अच्छे रोजगार मिले। इसी बीच शो में मौजूद एक मौलाना बोले की आपके वालिद ने मदरसे में तालीम हासिल की थी या नहीं। मौलाना को फटकार लगाते हुए शाजिया बोलीं जी हमें अच्छे स्कूलों में पढ़ाया गया है ताकि आप जैसे लोगों की पोल खोल सकें।

शाजिया बोलीं अब्बा दारु-उलूम से थे, वो आपकी तरह नहीं थे, उन्होंने हमें अच्छी शिक्षा दिलाई। हमें गणित, अंग्रेजी, हिंदी, साइंस सभी विषय पढ़ाए गए। इसके बाद शाजिया बोलीं की 42 प्रतिशत मुसलमान इस देश में अनपढ़ हैं, 100 में से मात्र 11 मुस्लिम ही उच्च शिक्षा प्राप्त कर पाते हैं और सबसे कम मुसलमान हैं भारत में जिन्हें रोजगार मिल पाता है। मैं यूपी सरकार का तहे दिल से शुक्रियाअदा करती हूं कि उन्होंने भारतीय मुसलमानों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए कुछ सोचा है। मुसलमान भी अच्छी जिंदगी के हकदार हैं मैं आपको बता नहीं सकती की सरकार के इस फैसले से मैं कितनी खुश हूं। सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ द्वारा इतना बड़ा कदम उठाया गया है और उनके इस कदम को मेरा सलाम है। यह सरकार मुसलमानों की तरक्की के लिए सोच रही है।