उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले की एक विशेष अदालत ने मंगलवार को तीन साल पहले चौबेपुर थाना क्षेत्र में हुए ‘बिकरू कांड’ के 23 आरोपियों को 10 साल की सजा सुनाई है। इन आरोपियों पर 50-50 हजार का जुर्माना भी लगाया गया है। इस मामले में अदालत ने सात आरोपियों को बरी भी कर दिया है। 

विशेष पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार ने एक बयान में मंगलवार को बताया कि कानपुर देहात के अपर जिला सत्र न्यायाधीश दुर्गेश की अदालत ने चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरू कांड में 30 अभियुक्तों में से 23 को 10-10 साल की सजा सुनाई है। 

क्या मामला था? 

जुलाई 2020 में कानपुर जिले के चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी गई थी। पुलिस की टीम बिकरू निवासी कुख्यात माफिया विकास दुबे को पकड़ने के लिए उसके घर दबिश देने गई थी। पुलिस का आरोप है कि विकास दुबे और उसके सहयोगियों ने ताबड़तोड़ गोलीबारी करके एक पुलिस उपाधीक्षक समेत आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी। विकास दुबे 10 जुलाई को एक मुठभेड़ में मारा गया था जब उसे उज्जैन से कानपुर लाया जा रहा था। उसके अनुसार रास्ते में पुलिस का एक वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गया था और दुबे ने भागने की कोशिश की थी।

बिकरू कांड के बाद पुलिस द्वारा शुरू की गई तलाशी के बाद विकास दुबे के दो कथित सहयोगियों, प्रेम प्रकाश पांडे और अतुल दुबे को पुलिस ने कानपुर में एक मुठभेड़ में मार गिराया था। आठ जुलाई को पुलिस ने 50 हजार रुपये के इनामी अमर दुबे को हमीरपुर जिले के मौदहा गांव में मार गिराया था। नौ जुलाई को, दूबे के दो और कथित सहयोगी- कार्तिकेय उर्फ प्रभात और प्रवीण उर्फ बउवा दुबे कानपुर और इटावा जिलों में अलग-अलग मुठभेड़ों में मारे गए थे। यह कांड एक चर्चित कांड कहा था जिसके बाद उत्तर प्रदेश पुलिस ने मुस्तैदी से इन आरोपियों की तलाश की थी।