मनरेगा (महात्मा गांधी नेशनल रूरल एंप्लॉयमेंट गारंटी एक्ट) योजना कई राज्यों में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी हुई दिखाई देती है। उत्तर प्रदेश में ऐसा ही कुछ मामला सामने आया है, जहां मनरेगा के तहत मजदूरी लेने वाले लाखों करोड़ों के मालिक हैं। एक तरफ जरुरतमंद रोजगार की तलाश में दर दर भटकने को मजबूर है तो वहीं धन्ना-सेठों के खातों में हजारों लाखों रुपये जा रहे हैं। मामले का खुलासा खुद गांवों के युवाओं ने किया है। युवाओं ने इस घोटाले से जुड़े कुछ तथ्य सोशल मीडिया पर उजागर कर दिए हैं और प्रशासन से इस पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
युवाओं का आरोप है कि मनरेगा योजना के तहत सालों से उन लोगों के खातों में पैसे जा रहे हैं, जो इसके पात्र भी नहीं हैं। मामला बागपत जिले के खेकड़ा ब्लॉक मुबारिकपुर गांव का है। इसका खुलासा तब हुआ जब गांव के युवाओं ने पंचायत की साइट से गांव के मनरेगा मजदूरों की लिस्ट निकाली। युवाओं के मुताबिक लिस्ट में ऐसे कई नाम सामने आए हैं जो लाखों-करोड़ों के मालिक हैं। साथ ही ऐसे भी कुछ लोगों का नाम शामिल है जो मजदूरी के नाम पर लगातार चंद घंटे काम भी नहीं कर सकते हैं।
युवाओं ने गबन के इस खेल में ग्राम विकास अधिकारी और ग्राम प्रधान को कटघरे में खड़ा किया है। उन्होंने इससे जुड़ी सभी जानकारी इंटरनेट पर जारी कर दी है, जोकि अब तेजी से वायरल हो रही है. वहीं मामले से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि शिकायत मिलने के बाद मामले की जांच की जा रही है, यदि युवकों का आरोप सही साबित होता है तो दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।
हाल ही में महात्मा गांधी नेशनल रूरल एंप्लॉयमेंट गारंटी एक्ट से जुड़ी एक रिपोर्ट सामने आई थी। जिसके अनुसार कोरोना काल के दौरान प्रवासी मजदूरों के लिए यह योजना बड़ी सहायक साबित हुई थी। रिपोर्ट के अनुसार साल 2020-21 में इस योजना के तहत 11 करोड़ से ज्यादा लोगों को रोजगार मिला। यह आंकड़ा अप्रैल 2021 तक का है. जोकि पिछले साल के मुकाबले 41 फीसदी से ज्यादा रहा है।