भाजपा नेता और बिहार के नवादा से सांसद गिरिराज सिंह ने कहा था कि भारत के मुसलमान प्रभु राम के वंशज हैं। वे मुगलों के वंशज नहीं हैं। इसलिए वे राम मंदिर का विरोध न करें और जो राम मंदिर का विरोध कर रहे हैं, वे भी समर्थन में आ जाएं, वरना उनसे हिंदू नाराज हो जाएंगे। मुस्लिमों से नफरत करने लगेंगे और अगर ‘ये नफरत ज्वाला में बदल गई तो मुस्लिम सोचें फिर क्या होगा। राम मंदिर जरूर बनना चाहिए। यह मुद्दा कैंसर की दूसरी स्टेज की तरह है। राम मंदिर नहीं बना तो यह लाइलाज हो जाएगा।” उनके इस बयान पर उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री आजम खान ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि, “जो बहादुरी 6 दिसंबर 1992 को एक पुरानी इमारत को गिराने में दिखाई गई, उस वक्त दिखाई गई होती, जब बाबर ने या मीर बाकी ने इस मस्जिद को बनवाना शुरू किया था। तो ये मस्जिद बनती ही नहीं। सवाल सिर्फ इतना है कि ये मर्दानगी उस वक्त कहां थी जो आज है?”

आजम खान ने कहा, “मोदी जी की फौज के लोगों को जो ट्रेनिंग दी गई है, चुनाव से पहले उसी पर अमल शुरू हो गया है। 6 दिसंबर 1992 को जब मस्जिद गिराई गई थी तब एक पक्ष था गिराने वाला पक्ष। पूरे देश से हथियार और डायनामाइट लेकर बहादुर लोग आए थे। दूसरे पक्ष को फौज ने, पुलिस ने और पीएसी के जवानों ने फैजाबाद की सीमा पर रोक दिया था। एक पक्ष ने अपनी बहादुरी दिखाकर शौर्य और मर्दानगी दिखाकर एक पुरानी इमारत को गिराया था।” ‘भाजपा के सांसद सावित्री बाई फुले कह रही हैं कि यहां बौद्ध मंदिर बना देना चाहिए?’ के सवाल पर आजम खान कहते हैं, “क्या बना देना चाहिए इसका सवाल ही नहीं है। जानना बस इतना चाहते हैं कि यह बहादुरी उस वक्त कहां थी जब यह मस्जिद बनना शुरू हुई थी।”

गिरिराज सिंह जनसंख्या समाधान फाउंडेशन के बैनर तले आयोजित जनसंख्या कानून रैली को संबोधित करने बागपत पहुंचे थे। यहां उन्होंने कहा था कि, “जहां हिंदुओं की आबादी कम है, वहां उनकी आवाज बंद हो जाती है। प्रदेश के 20 जिलों में 20 साल बाद हिंदुओं की जुबान नहीं खुलेगी। देश में ऐसे 54 जिले हैं, जहां हिंदुओं की आबादी गिरी है। आने वाले सालों में 250 जिलों में यही हाल होगा। सर्वधर्म समभाव सिखाना है तो मुसलमानों को सिखाओ। सनातन को छोड़कर सर्वधर्म समभाव संभव नहीं है। देश में जहां हिंदू घटे, वहां सामाजिक समरसता टूटी है। देश का जितना नुकसान मुगलों ने नहीं किया, उतना नेताओं ने किया है। मैं सनातन धर्म के लिए भाजपा, मंत्री पद व सांसदी छोड़ सकता हूं।”

गिरिराज सिंह ने कहा था कि, “अल्पसंख्यक की परिभाषा बदलनी चाहिए। जहां पांच प्रतिशत हैं वहां भी अल्पसंख्यक और जहां 90-95 प्रतिशत हैं वहां भी अल्पसंख्यक, यह गलत है। जो जनसंख्या कानून न माने उसका मताधिकार छीन लेने, कानूनी व आर्थिक कार्रवाई जैसे प्रावधान किए जाने चाहिए। देश में किसी फिल्मकार की हिम्मत नहीं कि इस्लाम पर टिप्पणी करे, लेकिन हिंदू धर्म का रोज मखौल उड़ाते हैं। एक सवाल पर उन्होंने कहा कि हर मोर्चे पर वोट के सौदागर खड़े हैं, इसलिए जिस दिन जनभागिता होगी, उस दिन राम मंदिर भी बनेगा और जनसंख्या पर कानून भी।” (एजेंसी इनपुट के साथ)