अग्निपथ योजना का पूरे देश में विरोध हो रहा है। केंद्र की चार साल की संविदा वाली नौकरी युवाओं को नहीं भा रही। हालांकि सरकार का कहना है कि अग्निवीरों को चार साल की नौकरी के बाद अच्छे अवसर उपलब्ध कराए जाएंगे जिससे वो अपना जीवन यापन सम्मान के साथ कर सकें। लेकिन यूपी के 52 पूर्व सैनिकों का हाल देखकर लगता नहीं कि सब कुछ अच्छा है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2016 में ग्रामीण विकास अधिकारी (VDO) के 3133 पदों पर भर्ती निकली थीं। इनमें से 156 पद पूर्व सैनिकों के लिए आरक्षित थे। UPSSSC ने इनमें 125 को ही लिया। इस नौकरी के लिए पूर्व सैनिकों को कंप्यूटर कोर्स करना अनिवार्य था। 2018 में 52 सैनिकों का चयन होने के बाद भी आयुक्त ग्राम विकास ने उन्हें पोस्टिंग नहीं दी। कारण बताया गया कि इन लोगों ने कंप्यूटर कोर्स प्राइवेट एजेंसी NIELT से नहीं किया। जबकि आयोग के भर्ती विज्ञापन में ऐसा कोई जिक्र नहीं था।

खास बात है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नवंबर 2019 ने राज्य सरकार को 2 महीने के अंदर इन पूर्व सैनिकों को तैनाती देने का आदेश दिया था। इसे लेकर भूतपूर्व सैनिक कई बार यूपी में प्रदर्शन कर चुके हैं पर आज तक सुनवाई नहीं हुई। पूर्व सैनिकों का कहना है कि उनका (CCC) कोर्स रक्षा मंत्रालय ने कराया गया था। पूर्व सैनिकों के लिए सरकार की तरफ से कई कोर्स कराए जाते हैं, जिसमे कंप्यूटर कोर्स भी शामिल है।

यूपी तक की रिपोर्ट के मुताबिक ग्राम विकास विभाग के जॉइंट कमिश्नर राजेश कुमार ने माना कि यह मामला सालों से लंबित है. क्योंकि जो 52 सैनिक हैं उनके पास NIELT का सर्टिफिकेट नहीं है। जबकि अधीनस्थ आयोग ने अखबार में जब इस भर्ती का विज्ञापन दिया था तब इसमें NIELT का कोई जिक्र नहीं था। अब केवल इस सर्टिफिकेट के ना होने के चलते चयनित लोग अब तक भटक रहे हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के चेयरमैन प्रवीण कुमार ने इस बारे में बातचीत करने से भी मना कर दिया। उनका कहना है कि यह मामला डबल बेंच में लंबित है, इसलिए वह इस मामले में कुछ भी नहीं बोलेंगे। सवाल है कि जब इन 52 पूर्व सैनिकों को अब तक उनकी नियुक्ति नहीं मिली है तो ऐसे में जब अग्निवीर 4 साल बाद सेना से वापस आएंगे, तब उनके भविष्य का क्या होगा?