उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले में नई गोशाला सिर्फ इस वजह से खाली हो गई, क्योंकि वहां गायों के लिए चारा-पानी ही नहीं था। ‘टीओआई’ की खबर के मुताबिक, छमरा मौजा गांव के लोगों ने पिछले हफ्ते तकरीबन 150 गाय पड़ोस के नगला रकसिया गांव में बनी गोशाला में बंद कर दी थीं। छह दिन बाद वे वहां लौटे, तो उन्हें महज तीन मवेशी मिले। उनमें से एक नेत्रहीन थी, दूसरी काफी बूढ़ी हो चुकी, जबकि तीसरा बछड़ा था।

गोशाला अचानक खाली होने के बाद गांव में चर्चाओं का बाजार गर्म था। किसी ने कहा कि गोशाला की देखरेख करने वाले ने गाय को वहां से जाने दिया। हालांकि, यह भी बताया गया कि वहां उन्हें चारा-पानी भी नहीं मिलता था। स्थानीयों के मुताबिक छमरा मौजा अपवाद है, जहां गोशाला में चारदीवारी है। अधिकतर गांवों में ऐसे प्रोजेक्ट सिर्फ कागजों पर ही हैं।

अधिकतर गांवों में प्रधान ने लोगों से वादा किया था कि वे जल्द ही गोशाला का निर्माण कराएंगे, जबकि कुछ जगहों पर योजना के तहत गोशाला के लिए जगह का चुनाव करने की प्रक्रिया की बात जारी बताई गई। लेकिन जब तक इन गांवों में गोशालाएं बनेंगी, तब तक बहुत देर हो चुकी होगी।

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इटावा में सुनवारा गांव के निवासी रणवीर सिंह के हवाले से रिपोर्ट में बताया गया- आने वाले महीनों में अगर वे बना भी दी गईं, तब फसल का मौसम बीत जाने के कारण वे किसी काम की नहीं रहेंगी। वहीं, मथुरा जिले में शहजादपुर गांव के प्रधान नंद किशोर बोले, “अस्थाई गोशालाएं बनाने के लिए प्रशासन ग्रामीणों से पैसे जुटाने के लिए कहता है। ऐसे में अगर ये काम हम ही कर लेंगे, तब सरकार किस काम की?”

उधर, राज्य सरकार का कहना था कि योजना के बाद से प्रशासन यह जानकारी जुटाने में लगा है कि आखिर कितनी गोशालाएं अब तक बनीं। पशुपालन विभाग में विशेष सचिव अरविंद सिंह ने अंग्रेजी अखबार से कहा, “फिलहाल हमें इतना पता है कि मौजूदा समय में नई गोशालाओं में तकरीबन 3.32 लाख गाय हैं।”