उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में पति को हत्या के मामले में 10 साल जेल की सजा सुनाई गई है। मुजफ्फरनगर जिले की एक फ़ास्टट्रैक कोर्ट ने दहेज के लिए पत्नी की हत्या करने और फिर कोरोना वायरस से उसकी मौत होने का झूठा दावा करने के करीब पांच साल पुराने मामले में आरोपी पति को दोषी करार दिया। अदालत ने आरोपी पति को दोषी करार देते हुए दस साल कठोर कारावास की सजा सुनाई।
पति को 10 साल की सजा
फ़ास्टट्रैक कोर्ट के जस्टिस निशांत सिंगला ने दोषी आस मोहम्मद को सजा सुनाते हुए 56,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया। हालांकि अदालत ने सबूतों के अभाव में मोहम्मद की मां शमीमा और भाई इंसाफ को बरी कर दिया। शासकीय अधिवक्ता अमित कुमार त्यागी ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि शिकारपुर गांव में छह जून 2020 को तबस्सुम नामक महिला की उसके ससुराल में गला घोंटकर हत्या कर दी गई थी।
पुलिस को सूचित किए बिना ही उसके शव को दफना दिया गया और परिवार ने झूठा दावा किया कि उसकी मौत कोरोना वायरस संक्रमण से हुई है। जांच के दौरान पुलिस ने स्थानीय कब्रिस्तान से शव को खोदकर निकाला। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में गला घोंटकर हत्या किए जाने की पुष्टि हुई, जिसके बाद पुलिस ने जांच पूरी कर आरोप पत्र दाखिल किया और अदालत ने मामले में आरोपी पति को सजा सुनाई।
पत्नी ने पति की हत्या की
इससे पहले 1 सितंबर को भी मुजफ्फरनगर से हैरान करने वाला मामला सामने आया। मुजफ्फरनगर में एक महिला ने अपने पति की गला घोंटकर हत्या कर दी। इस घटना उसने तब अंजाम दिया जब उसका पति सो रहा था। मामले में कार्रवाई करते हुए पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में महिला ने हत्या की बात स्वीकार कर ली और बताया कि क्यों उसने अपने पति की जान ले ली।
महिला ने बताया कि उसका पति उसका ख्याल नहीं रखता था, वह गांव में रहने वाली अपनी पहली पत्नी को ज्यादा महत्व देता था। वो उसके साथ ज्यादा वक्त बिताता था, जिससे उसे परेशानी और जलन होती थी। पति की दो शादियां हुई थी। पहली पत्नी पैतृक गांव में रहती है। जबकि दूसरी पत्नी उसके साथ रहती थी। दूसरी पत्नी ने 29 अगस्त की रात को अपने पति की गला घोंटकर हत्या कर दी।