ओडिशा के जगतसिंहपुर में अगड़ी जाति के लोगों द्वारा दलितों के शिव मंदिर में प्रवेश पर रोक लगाने का मामला सामने आया है। आरोप है कि महिलाओं के साथ गाली-गलौज भी की गई। घटना के बाद गांव में भय का माहौल व्याप्त हो गया है। जगतसिंहपुर जिले के तिरतोल पुलिस थाना क्षेत्र के अधीन रेपुरपाटना गांव में रहने वाले 22 दलित परिवार अगड़ी जाति के लोगों की वजह से भय के वातावरण में जी रहे हैं। करीब 200 की संख्या में गांव में रहे रहे दलितों को अगड़ी जाति के लोगों ने शिव मंदिर में प्रवेश करने से रोक दिया था। इसके बाद दलित स्थानीय पुलिस के पास पहुंचे लेकिन उनके मामले पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई। पुलिस की निष्क्रियता की वजह से दलितों ने राज्य मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस वर्ष 5 फरवरी को गांव में मुक्तेश्वर महादेव मंदिर की स्थापना की गई थी। गांव की कमेटी के निर्णय के बाद मंदिर की स्थापना और विधिवत प्राण-प्रतिष्ठा के लिए दलितों सहित सभी ग्रामीणों ने 1500-1500 रुपये दिए थे। हालांकि, इसके बावजूद मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा के वक्त दलित परिवारों को कलश पूजा व अन्य कार्यक्रमों में शामिल होने से रोक दिया गया। कुछ दलित महिलाओं ने मंदिर में पूजा करने की कोशिश की, लेकिन अगडी जाति के लोगों ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया। दलितों को धमकी दी गई और मंदिर में प्रवेश नहीं करने को कहा गया।
गांव के एक दलित नेता बंज किशोर सेठी ने कहा, “अगड़ी जाति के लोग दलितों को मंदिर में पूजा-पाठ नहीं करने देते हैं। जब हमारे समाज की कुछ महिलाओं ने इसका विरोध किया तो, उनके साथ गलत व्यवहार किया गया। उन्हें गाली दी गई।” सेठी ने कहा कि उनहोंने तिरतोल पुलिस थाने में बीते 13 फरवरी को ही एक एफआईआर दर्ज करवायी थी, लेकिन पुलिस ने अभी तक इसे रजिस्टर नहीं किया है। अगड़ी जाति के कुछ नेताओं के दवाब में पुलिस इस मामले को दबाने की कोशिश कर रही है। दलितों की पीड़ा यहीं समाप्त नहीं हुई। स्थानीय पुलिस की सलाह पर ग्रामीणों ने अब दलितों के मंदिर में जाने के लिए अलग प्रवेश द्वार बनाने का निर्णय लिया है।
एक अन्य दलित नेता देवेंद्र कुमार मल्लिक ने कहा कि भारत में वर्ष 1955 में छुआछूत और जाति के आधार पर भेदभाव पर रोक लगा दिया गया था, लेकिन दलितों के साथ आज भी भेदभाव हो रहा है। फुले अंबेदकर बिकास परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष मनोज पात्रा ने जिलाधिकारी, एसपी, राज्य मानवाधिकार आयोग, एससी-एसटी विभाग के अधिकारियों से इस मामले में हस्तक्षेप करने और दलितों को न्याय दिलाने के लिए कहा है।