उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में इंसानियत को शर्मसार करने वाली एक और घटना घटी। यहां के जिला अस्पताल में कथित तौर पर एक शख्स के कटे हुए पंजे को उसके दोनों पैरों के बीच में रख दिया गया। न्यूज 18 हिंदी की खबर के मुताबिक यहां के कोतवाली नगर के करौंदिया रेलवे क्रासिंग के पास मंगलवार (27 मार्च) की शाम एक शख्स ट्रेन की चपेट में आ गया था। हादसे में शख्स का बाएं पैर का पंजा कट गया था। दर्द से कराहते जख्मी शख्स को जख्मी देख स्थानीय लोगों ने आनन-फानन में 108 नंबर पर कॉल करके एंबुलेंस को बुलाया और उसे जिला अस्पताल ले गए। लेकिन अस्पताल में स्टाफ ने संवेदनहीनता की हद पार कर दी। रिपोर्ट के मुताबिक इलाज में लगे स्टाफ ने कथित तौर पर शख्स का कटा हुआ पंजा उसकी दोनों टागों के बीच में रख दिया। मौके पर मौजूद कुछ लोगों ने जब इस वीभत्स तस्वीर को अपने मोबाइल फोन के कैमरे में कैद किया तो डॉक्टरों ने पंजे को तुरंत वहां से हटा लिया।

रिपोर्ट के मुताबिक घायल शख्स की पहचान जयसिंहपुर कोतवाली के रवनिया पीढ़ी गांव निवासी अतुल कुमार पाण्डेय के तौर पर हुई है। बता दें कि पिछले दिनों ऐसा ही एक एक संवेदनहीन मामला उत्तर प्रदेश के झांसी से सामने आया था। झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के इमरजेंसी वार्ड में एक शख्स के कटे पैर को ही उसके सिर के नीचे तकिये के तौर पर रख दिया गया था। स्टाफ की यह करतूत सोशल मीडिया पर वायरल हो गई थी। इस मामले का संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी इसे लेकर नोटिस भेजा था।

दरअसल एक बस हादसे में घनश्याम नाम के शख्स का पैर इस कदर जख्मी हो गया था कि जब उसे झांसी के लिए रेफर किया गया तो डॉक्टरों को उसका पैर काटना पड़ा। डॉक्टरों ने घनश्याम का कटा हुआ पैर ही उसके लिए तकिये के तौर पर इस्तेमाल कर दिया। घनश्याम के जीजा के आपत्ति जताने के बावजूद भी डॉक्टरों ने मरीज के सिर के नीचे से पैर हटाने में आनाकानी की। मामले की सूचना जब मेडिकल प्रसाशन को मिली तो जांच करते हुए दो डॉक्टरों और दो नर्सों को निलंबित कर दिया गया। वहीं एक डॉक्टर के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश भी दिये गए थे। फिलहाल सुलतानपुर वाली घटना को लेकर प्रशासनिक तौर पर क्या कार्रवाई की गई है, यह बात खबर लिखे जाने तक सामने नहीं आई थी।